लालू यादव को नहीं है नीतीश कुमार पर ऐतबार !

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सिटी पोस्ट लाइव : नीतीश कुमार 2025 में तेजस्वी को सीएम बनाने की बात करते हैं, लेकिन लालू केंद्र की सियासत में नीतीश की जगह राहुल को मजबूत करने की बात क्यों कर रहे हैं?सवाल ये भी कि आखिर राहुल को मजबूत करने के लिए लालू यादव किस नुकसान को सहने की बात कर रहे हैं. आखिर ऐसे बयान की जरूरत क्यों पड़ी? लालू मैसेज क्या देना चाहते हैं? लालू पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो लालू बीजेपी को हराने से ज्यादा तेजस्वी को सीएम बनने की राह क्लियर करना चाहते हैं.लालू यादव ये अच्छी तरह जानते हैं कि उनके लिए नीतीश से ज्यादा भरोसेमंद राहुल होंगे. यही कारण है कि एक बयान से उन्होंने एक साथ कई मुद्दों पर छाए धुंध को स्पष्ट कर दिया.

लालू के बयान से सबसे पहले नीतीश कुमार के संयोजक बनने की चर्चा पर ब्रेक लगी. लालू यादव ने ही सबसे पहले नीतीश कुमार के संयोजक  बनने की बात को सबसे पहले खारिज किया. मुंबई की बैठक से 5 दिन पहले ही उन्होंने कह दिया था कि एक नहीं गठबंधन में कई संयोजक होगें.लालू के बयान के बाद ये साफ हो गया है कि राहुल गांधी ही I.N.D.I.A. के नेता होंगे. साथ ही लालू ने अपनी मंशा साफ कर दिया कि वे I.N.D.I.A. में आज भी नीतीश से ज्यादा भरोसा राहुल गांधी पर करते हैं. लालू यादव एक बार फिर सियासत की ड्राइविंग सीट हैं. मकसद साफ है- बेटे तेजस्वी यादव को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाना. उन्हें मजबूत सियासी हैसियत दिलाना. इसके लिए जरूरी है एक मजबूत साझीदार।. लालू यादव को  नीतीश पर विश्वास नहीं है. ऐसे में नीतीश कुमार से ज्यादा विश्वसनीय वो  कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को मानकर चल रहे हैं. दोनों पिछले दो दशक से एक-दूसरे के मददगार रहे हैं.

बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद लालू और नीतीश साथ मिलकर गैर भाजपाई दलों को लामबंद किए. नीतीश और तेजस्वी साथ मिलकर कोलकाता, दिल्ली, ओडिशा और अन्य राज्यों में जाकर क्षत्रपों से मिले. उन्हें कांग्रेस के साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए मनाया, लेकिन जैसे ही गठबंधन ने आकार लिया लालू यादव ने नीतीश की जगह राहुल गांधी को दूल्हा बना दिया.पटना की बैठक में उन्होंने इशारों-इशारों में राहुल गांधी को दूल्हा बनने की सलाह दी थी. साथ ही ये भी कहा था कि राहुल गांधी दुल्हा बने, बाकी सभी लोग बराती बनेंगे. उनके इस बयान से साफ था कि लालू राहुल गांधी को आगे बढ़कर गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए बोल रहे थे.

 लालू और नीतीश दोनों जितने गहरे दोस्त हैं, उतने ही बड़े एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी भी हैं. एक जमाने में लालू का विरोध कर के ही नीतीश कुमार बिहार के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे हैं.नीतीश महागठबंधन की सरकार होने के बाद भी गाहे-बगाहे लालू राज की तस्वीर लोगों को याद दिलाते रहते हैं. ऐसे में लालू यादव कभी नहीं चाहेंगे कि नीतीश कुमार का कद देश की सियासत में उनसे बड़ा हो. यही कारण है कि लालू नीतीश कुमार का पर कतरना चाहते हैं.

बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार जब भी राज्य से बाहर गए हैं, लालू यादव या तेजस्वी यादव अक्सर उनके साथ रहे हैं, लेकिन मुंबई बैठक से पहले लालू यादव और राहुल गांधी की अकेले मुलाकात हुई.इससे पहले नीतीश कुमार अकेले दिल्ली गए थे. वहां वे अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर गए, लेकिन विपक्षी गठबंधन के किसी नेता से नहीं मिले. जी-20 की बैठक के दौरान आयोजित भोज में नीतीश कुमार गये.वहां पीएम मोदी से उनकी मुलाक़ात हुई.सियासी गलियारे में नीतीश कुमार के भोज के बहाने पीएम से मुलाक़ात को लेकर अटकलों का बाज़ार गरम है.

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