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कांग्रेस को लालू-नीतीश का एक और झटका.

7 वर्ष बाद 10 बोर्ड-आयोग का पुनर्गठन हुआ, 9 के अध्यक्ष जदयू और राजद ने आपस में बांटे.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार में हो रही देर से नाराज कांग्रेस पार्टी को लालू यादव और नीतीश कुमार ने एक और झटका दे दिया है. 7 वर्षों बाद राज्य सरकार भंग बोर्ड और आयोग का पुनर्गठन कर रही है. अभी राज्य में 28 बोर्ड-आयोग ऐसे हैं जिनमें  सरकार अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं को जगह देती रही है.नीतीश सरकार ने अब तक उन 28 में से 10 का पुनर्गठन किया है जिसमें से 9 के अध्यक्ष का पद JDU –RJD  ने आपस में बांट लिया है.5 आयोगों के  अध्यक्ष JDU  और  4 के अध्यक्ष RJD  के हैं. कांग्रेसियों को अब तक एक भी बोर्ड-आयोग की कमान नहीं मिली है.

 बिहार मंत्रिमंडल में भी दो मंत्रियों को शामिल करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के नेता लगातार प्रयासरत हैं. 8 महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं और सभी दल उसकी तैयारी में लग गए हैं.20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति ऐसी समिति होती है जिसमें राज्य स्तर से लेकर जिला एवं प्रखंड स्तर तक गठन होता है. राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री खुद होते हैं तो जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिला के संबंधित प्रभारी मंत्री होते हैं. इसमें हर समिति में छहों दलों के प्रतिनिधित्व होने पर हर समिति में 15 सदस्यों का मनोनयन हो तो राज्य से लेकर प्रखंड स्तर तक करीब 8600 नेता-कार्यकर्ताओं की सत्ता में सीधी भागीदारी हो जाएगी. उसी तरह जेल निगरानी समिति जिला स्तर पर गठित होती है. हर जिले में 15 सदस्यों का मनोनयन होने पर 570 नेताओं के इस समिति में शामिल होने का मौका मिल सकता है.

सवर्ण आयोग, मछुआरा आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, उपभोक्ता संरक्षण आयोग, धार्मिक न्यास परिषद, खादी ग्रामोद्योग आयोग, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, जेपी सेनानी सलाहकार परिषद, नागरिक परिषद, भोजपुरी अकादमी, मगही अकादमी, अंगिका अकादमी, उर्दू अकादमी, राज्य सूचना आयोग, कृषि आयोग, खाद्य सुरक्षा सलाहकार परिषद.कांग्रेस को उम्मीद है कि इनमे उसे जगह मिलेगी.

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