बीजेपी अध्यक्ष के घर हुई अमित शाह, ललन सिंह, मांझी और कुशवाहा की बैठक, जानें, क्या-क्या हुआ

Deepak Sharma

नई दिल्ली: दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर बुधवार को एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के नेताओं की एक बैठक हुई, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। यह बैठक कई कारणों से महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। इसमें बिहार के प्रमुख दलों के नेताओं के साथ-साथ केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। सवाल यह उठ रहा था कि आखिर इस बैठक का उद्देश्य क्या था, और इसमें किन मुद्दों पर चर्चा की गई।

बैठक में कौन-कौन शामिल था?
बुधवार को आयोजित इस बैठक में भाजपा के शीर्ष नेता और गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ कई अन्य प्रमुख नेताओं ने भी भाग लिया। बैठक में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह (जदयू), उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा), जीतन राम मांझी (हम पार्टी), और चंद्रबाबू नायडू (तेलुगू देशम पार्टी) समेत अन्य नेता शामिल हुए। हालांकि बैठक एक बंद कमरे में हुई और मीडिया से पूरी तरह से दूर रखी गई, कोई भी नेता यह बताने के लिए तैयार नहीं था कि इस बैठक में क्या चर्चा की गई।

एनडीए के नेताओं का एकत्रित होना विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है क्योंकि इससे पहले ऐसा कोई संकेत नहीं मिला था कि सभी पार्टियां एक साथ बैठकर कुछ ठोस चर्चा करेंगी। सभी नेताओं के इस बैठक में शामिल होने को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने अपनी-अपनी राय जाहिर की। एनडीए के अंदर चल रही स्थिति, गठबंधन की मजबूती और आगामी चुनावों के मद्देनजर यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही थी।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक में बिहार और दिल्ली में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ। इन दोनों राज्यों में चुनावी मुकाबला काफी कड़ा होने वाला है। इस बैठक में इन चुनावों को लेकर चुनावी रणनीतियों पर चर्चा की गई, खासकर एनडीए की ओर से कौन से मुद्दे उठाए जा सकते हैं, यह तय किया गया।

साथ ही बैठक में संसद के अंदर आंबेडकर प्रकरण को लेकर कर्नाटक में कांग्रेस की सक्रियता और विपक्ष की संभावित रणनीतियों पर भी विचार हुआ। यह बात स्पष्ट हो गई कि सभी दल अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने का प्रयास करेंगे।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, यूं ही मिले थे
बैठक के बाद रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस बैठक का कोई तय एजेंडा नहीं था। उनके अनुसार, यह केवल एक गेट-टु-गेदर था, जिसमें सभी दलों के नेता एकत्रित हुए थे और कोई भी खास राजनीतिक मुद्दा नहीं उठाया गया था। उनका कहना था कि इस बैठक में किसी भी ठोस मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई और न ही कोई महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। कुशवाहा ने यह भी कहा कि यह बैठक सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात थी, जिसमें नेताओं ने आपस में विचार-विमर्श किया, लेकिन इस पर कोई पक्का निर्णय नहीं लिया गया।

इस बैठक के बाद एनडीए के अंदर चल रही राजनीतिक स्थिति को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। एक ओर जहां भाजपा और अन्य दलों के नेताओं ने इस बैठक को महज एक औपचारिक मुलाकात बताया, वहीं दूसरी ओर कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक आगामी चुनावों की तैयारियों का हिस्सा हो सकती है। कई नेताओं ने इस बैठक को बिहार और दिल्ली चुनावों के लिए एक नए गठबंधन की शुरुआत के रूप में देखा।

इस बैठक के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पाई, क्योंकि कोई भी नेता इसके बारे में विस्तार से बात करने को तैयार नहीं था।
हालांकि एनडीए नेताओं ने इस बैठक को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी, फिर भी यह माना जा रहा है कि बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाना था। बिहार और दिल्ली दोनों राज्यों में चुनावी तैयारी तेज हो चुकी है, और बीजेपी के नेताओं ने इस बैठक के माध्यम से दोनों राज्यों में एनडीए को एकजुट रखने की कोशिश की।

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