RSS प्रमुख पर JDU का अबतक का सबसे बड़ा हमला.

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सिटी पोस्ट लाइव : RSS  प्रमुख मोहन भागवत के बयान को लेकर देश की सियासत में उबाल है.उन्होंने  रविवार को नागपुर में एक सम्मेलन के दौरान 3 बच्चे पैदा करने की सलाह दे डाली थी.दरअसल भागवत ने चिंता जाहिर करते हुए कहा- जिस समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे चली जाती है… वो समाज नष्ट हो जाता है…भागवत ने कहा- देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी…इसलिए जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% से नीचे नहीं होनी चाहिए.

RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “मैं मोहन भागवत से पूछना चाहता हूं कि वह अधिक बच्चे पैदा करने वालों को क्या देंगे? क्या वह अधिक बच्चे पैदा करने वालों के बैंक खातों में 1500 रुपये देंगे? क्या वह इसके लिए कोई योजना लाएंगे? जब मोहन भागवत अपने किसी करीबी को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें इसके लिए कोई योजना लानी चाहिए.”ओवैशी से तो ऐसी ही प्रतिक्रिया की उम्मीद भी थी.लेकिन जेडीयू से बिलकुल नहीं थी.बिहार जेडीयू के प्रदेश सचिव राजेश तिवारी ने तो यहाँ तक कह दिया कि देश को सलाह देने के पहले RSS प्रमुख को खुद पर और अपने संघ पर इस नियम को लागू करना चाहिए.उन्हें RSS के प्रचारक उसे ही बनाने का ऐलान करना चाहिए जो लोग तीन बच्चों के पिता है.उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि RSS के लोग खुद अविवाहित रहेगें.अविवाहित को ही अपना पराचार्क बनायेगें लेकिन देश को तीन बच्चे पैदा करने की सलाह दे रहे हैं.

महागठबंधन से जुड़े सभी दलों ने RSS प्रमुख के इस बयान की निंदा की है.कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉक्टर शकील खान ने कहा कि किसी खास मजहब के लोगों को तीन बच्चे पैदा करने की सलाह के पीछे खतरनाक मंशा है. कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह ने कहा देश की सरकार दो बच्चों को पैदा करने की सलाह देती है. जनसंख्या बढ़ने से देश के विकास पर असर पड़ेगा. आर्थिक स्थिति भी खराब होगी. मोहन भागवत को देश के सभी धर्म और समुदाय के लोगों के लिए यह बात कहनी चाहिए थी. मगर उन्होंने एक खास वर्ग को ध्यान रखते हुए यह बात कही है.इससे देश में माहौल खराब होगा.लेकिन चिराग पासवान ऐसा नहीं मानते. चिराग पासवान ने कहा यह ऐसा विषय है इस पर चर्चा होनी चाहिए .उन्होंने कंसर्न जाहिर किया है ये  टेक्निकल कंसर्न है जहां फर्टिलिटी रेट पर चर्चा हो रही है.फर्टिलिटी रेट गिरता जा रहा है 2.1 के आसपास रहना चाहिए लेकिन उसमें गिरावट आ रही है.इस बात को लेकर मोहन भागवत ने अपनी चिंता जाहिर की है.

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