सिटी पोस्ट लाइव : JDU ने अपने हाई-प्रोफाइल सांसद, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.JDU उन्हें अब अपना नहीं मानती.बिहार में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को जगह नहीं दी गई है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के अनुसार पिछले साल के नौ अगस्त से हरिवंश पार्टी संसदीय दल की बैठक में भी हिस्सा नहीं ले रहे हैं.इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि शायद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें रोक दिया है. वे अब बस तकनीकी रूप से संसद होने के नाते पार्टी में हैं.
एक तरह से जदयू ने हरिवंश को दल से अलग होने के लिए स्वतंत्र कर दिया. हालांकि, राज्यसभा सदस्य बने रहने तक वे तकनीकी रूप से जदयू के सदस्य रहेंगे.अकेले अलग होते हैं तो राज्यसभा की सदस्यता जा सकती है. राज्यसभा में हरिवंश का कार्यकाल अप्रैल 2026 तक है.ललन सिंह ने कहा कि नौ अगस्त 2022 को हमलोग राजग से अलग हुए। उस दिन से हरिवंश जदयू से अलग-थलग हैं.उन्होंने कहा कि बीजेपी ने नहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हरिवंश को उप सभापति बनाया. क्षेत्रीय दलों की ताकत से इस पद पर गए.अब वो मोदी भक्त हो गये हैं.
राज्यसभा में हरिवंश का कार्यकाल नौ अप्रैल 2026 तक है. वे दूसरी बार 2020 में जदयू की ओर से उच्च सदन के लिए नामित हुए थे. सबकुछ ठीक चल रहा था.जदयू ने जैसे राजग से नाता तोड़ा, हरिवंश तटस्थ हो गए. संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का जदयू ने विरोध किया था.उप सभापति की हैसियत से हरिवंश उसमें शामिल हुए. इसी तरह दिल्ली सरकार से जुड़े विधेयक का विरोध करने के लिए जदयू ने व्हिप जारी किया था.विधेयक पर मतदान के समय हरिवंश आसन पर बैठे थे. मतदान में शामिल नहीं हुए. राज्यसभा के उपसभापति पर व्हिप लागू होता है. लोकसभा और विधानसभा के उपाध्यक्ष भी व्हिप के दायरे में आते हैं.शर्त यह है कि मतदान के समय वे आसन पर न बैठे हों.