सिटी पोस्ट लाइव : नीतीश कुमार के नेत्रित्व में विधान सभा चुनाव लड़ने के सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ढुलमुल रवैये और बयान को लेकर बीजेपी-जेडीयू के बीच संशय पैदा हो गया है.मीडिया में लगातार खबर चल रही है कि विधान सभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें आने पर बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर महाराष्ट्र की तरह दावा कर सकती है.ऐसी खबरों से जेडीयू नेताओं के बीच खलबली इतनी तेज हुई कि बीजेपी को डैमेज कण्ट्रोल के लिए पटना में सभी सहयोगी दलों के साथ बैठक करनी पड़ी.इस बैठक में बीजेपी ने नेताओं ने जेडीयू नेताओं को बारबार आश्वासन दिया कि नीतीश कुमार के नेत्रित्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा.वहीँ मुख्यमंत्री होगें.
लेकिन प्रदेश बीजेपी के नेता तो शुरू से ही यहीं कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेत्रित्व में चुनाव लड़ा जाएगा.लेकिन अमित शाह ने तो कुछ अलग ही संकेत दे दिया.उन्होंने कहा कि बीजेपी एक लोकतांत्रिक पार्टी है.कोई भी फैसला सहयोगी दलों को भरोसे में एलकार लिया जाएगा.अमित शाह अपने बिहार के नेताओं की तरह ये भी कह सकते थे कि नीतीश कुमार के नेत्रित्व में चुनाव लड़ा जाएगा .लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कहकर ये संकेत दे दिया कि अभी फैसला लिया जाना बाकी है.इसलिए बीजेपी के प्रदेश के नेताओं के ऊपर जेडीयू भरोसा नहीं कर रहा है.जेडीयू को संतुष्ट करने के लिए अब दिल्ली में NDA की बैठक हो रही है.इस बैठक का मकसद सर जेडीयू को भरोसा दिलाना है.इस बैठक में अमित शाह रहेगें.इस बैठक में शामिल होने के लिए बिहार बीजेपी के तमाम बड़े नेता दिल्ली निकल चुके हैं.
दिल्ली की बैठक के बाद अमित शाह बिहार के दौरे पर भी आयेगें.माना जा रहा है कि अमित शाह के बयान के बाद से जेडीयू का बीजेपी से भरोसा हिल गया है.उसे लगने लगा है कि विधान सभा चुनाव में बीजेपी से कम सीटें आने पर बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा थोक सकती है.हालांकि बीजेपी के लिए ये बहुत आसान नहीं होगा.ये खेल तो बीजेपी तभी कर पायेगी जब जेडीयू और आरजेडी के मेल से भी सरकार बनने की संभावना नहीं रहेगी.इसके लिए तो बीजेपी को नीतीश कुमार की जेडीयू को 50 से कम सीटों पर रोकना पड़ेगा और तेजस्वी यादव और उनके गठबंधन को 50 सीट के नीचे समेटना होगा.