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चिराग पासवान का विकल्प तलाश रही है बीजेपी?

दलित नेता संजय पासवान या फिर उनके बेटे गुरु प्रकाश को बिहार से भेजा जा सकता है राज्यसभा.

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सिटी पोस्ट लाइव : चिराग पासवान के लगातार सार्वजनिक बयानों से एनडीए खासकर सरकार में बैठे बड़े मंत्री असहज महसूस कर रहे हैं. जहां, जेडीयू जैसी पार्टियां पार्टी लाइन से हटकर गठबंधन धर्म का पालन कर रही है. वहां चिराग पासवान के एक के बाद एक बयान सरकार के लिए मुश्किल खड़ी करने लगी है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान की लागातार बयानबाजी से बीजेपी आलाकमान खुश नजर नहीं आ रही है. इसी का नतीजा है कि अब बिहार की दो राज्यसभा सीटों में एक पर किसी बड़े दलित चेहरे की तलाश शुरू कर दी है, जो चिराग पासवान के समकक्ष न सही धरती पर जनाधार वाला नेता हो.

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के तेवर और हाल में दिए गये दो सार्वजनिक बयानों से बीजेपी असहज महसूस करने लगी है. चिराग का पहला बयान सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कोटे के अंदर कोटा पर दिए फैसले पर आया. विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस पहले से ही इस फैसले पर केंद्र सरकार को घेर रही थी. चिराग के समर्थन में आने से विपक्षी पार्टियों को भी बल मिला. नतीजा यह हुआ कि संसद सत्र खत्म होते ही केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को कहना पड़ा कि आरक्षण के प्रावधान पूर्व की तरह ही देश में मिलते रहेंगे.

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में लेटरल एंट्री के द्वारा की जा रही नियुक्तियों के विरोध में चिराग पासवान ने बयान दे दिया. पासवान ने कहा कि इस फैसले से एससी-एसटी और ओबीसी समाज को आरक्षण से वंचित किया गया है. चिराग का यह बयान भी एनडीए के किसी भी घटक दल के नेता के बयान से पहले आया. कांग्रेस, एसपी और बीएसपी जैसी पार्टियां पहले से ही इस फैसले का विरोध कर रही थी. चिराग के समर्थन से सरकार एक बार फिर से असहज महसूस करने लगी. आखिरकार नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने इस फैसले को भी वापस ले लिया.

सूत्रों की मानें तो बीजेपी के अंदर आरके सिंह, शहनवाज हुसैन, आरके सिन्हा, रामकृपाल यादव के साथ-साथ एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित नेता संजय पासवान या उनके पुत्र गुरुप्रकाश को भी राज्यसभा भेजने की बात होने लगी है. कहा जा रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे संजय पासवान को राज्यसभा भेजा जा सकता है. बीजेपी को एक ऐसे दलित चेहरे की तलाश है जो बिहार विधानसभा चुनाव में पासवान वोटबैंक में सेंध लगा सके. बिहार में पासवान जाति की आबादी 6,943,000 है, जो कुल आबादी का 5.311% है. दलित जाति के लिए यह काफी बड़ी संख्या है. इस पर सालों से रामविलास पासवान या उनके परिवार का आधिपत्य रहा है. अब उनके बेटे चिराग पासवान इस वोटवैंक पर अपना दावा ठोक रहे हैं.

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