पटना की रैली में इंडी गठबंधन नहीं दिखा पाया दमखम.

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सिटी पोस्ट लाइव :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की औरंगाबाद और बेगूसराय में सभा के दुसरे दिनमहागठबंधन की रैली पटना में हुई.इन दोनों रैली को एनडीए और विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था.विपक्षी गठबंधन ने गांधी मैदान की रैली को ‘जन विश्वास महारैली का नाम’ दिया था. गांधी मैदान में कहीं ढोल-नगाड़े बज रहे थे तो कहीं नाच और गाना चल रहा था. कुछ लोग पेड़ों पर लटक रहे थे तो कुछ टावर और खंभों पर चढ़कर विपक्षी नेताओं को देखने की कोशिश कर रहे थे.यहाँ एक तरफ़ की भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस की टीम पहुँच रही थी तो दूसरी तरफ़ की भीड़ बैरिकेड को लांघकर उस मंच के पास पहुँचने की कोशिश कर रही थी, जहाँ विपक्ष के सारे नेता मौजूद थे.

गांधी मैदान में बूंदाबांदी भी शुरू हुई लेकिन भीड़ का उत्साह कम नहीं हुआ.मंच के आसपास रेलमपेल मचा था.ऐसा लग रहा था कि गांधी मैदान में पैर रखने की जगह नहीं है.लेकिन सच्चाई ठीक इसके उल्ट थी.सारी भीड़ मंच के आसपास थी.पीछे गांधी मैदान का चार में से तीन हिस्सा खाली था. ये जरुर था कि मैदान के बाहर सडकों पर भी 10 हजार से ज्यादा लोग घूम रहे थे.गांधी मैदान कई बड़ी सियासी रैलियों का गवाह रहा है. विपक्षी दलों ने दावा किया था कि रविवार को पटना के गांधी मैदान में एक और ऐतिहासिक रैली होगी.तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव की लाठी रैली का रिकॉर्ड तोड़ देगें.लेकिन सच्चाई ये थी कि इस तरह की दो और रैली एकसाथ गांधी मैदान में हो सकती थी.

इस रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सीपीआईएम के सीताराम येचुरी समेत विपक्ष के कई बड़े नेता शामिल हुए.तेजस्वी ने अपने भाषण में जब लालू प्रसाद यादव को सामाजिक न्याय से जोड़ना शुरू किया तो भीड़ का शोर भी बढ़ने लगा.तेजस्वी ने कहा, “दस साल से आपने (मोदी सरकार) क्या किया. लालू जी ने लोगों को मानसिक ग़ुलामी से निकाला. अब कोई चप्पल उतरवा देगा? अब कोई कुएं का पानी नहीं पीने देगा? अब लोग दस-दस कुएं बनवा लेंगे और ज़रूरत पड़ी तो दूसरों को पिला देंगे.”

गांधी मैदान में लालू प्रसाद यादव लंबे समय के बाद अपने पुराने रंग में नज़र आ रहे थे. भीड़ की तालियां बटोरने में लालू भी काफ़ी आगे दिखे.उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परिवारवाद और हिन्दू धर्म को लेकर भी निशाना साधा.यही नहीं आमतौर पर धर्म और पौराणिक कथाओं को राजनीतिक मंच से दूर रखने वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी भी ऐसी कथाओं का हवाला देने लगे.उन्होंने आरोप लगाया, “अमृत मंथन के बाद अमृत का कलश पहले देवताओं को नहीं मिला था. आज भी अमृत का कलश ग़लत हाथों में चला गया है. हमें मोदी सरकार को हटाना है. मोदी हटाओ, देश बचाओ.”

लोकसभा चुनावों के पहले पटना में विपक्ष की इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी विपक्षी नेताओं के निशाने पर रहे.हालांकि तेजस्वी यादव ने इस मौक़े पर भी तीखा हमला नहीं बोला लेकिन लालू ने नीतीश पर जमकर निशाना साधा.इस मौक़े पर लालू नीतीश कुमार के बारे में कहा, “नीतीश कुमार जब पहली बार यहाँ से निकले तो हमने कहा कि ये पलटू राम हैं, लेकिन दोबारा हमसे और तेजस्वी से ग़लती हो गई. नीतीश कुमार पर एक से एक गाना फ़ोन में बनता है, उनको शर्म नहीं आती है क्या?”

विपक्षी नेताओं के पास एक मौक़ा ज़रूर था कि वो केंद्र सरकार को राजनीतिक मुद्दों पर घेर सकते थे. लेकिन इस मामले में विपक्षी नेताओं के पास मुद्दों की कमी दिख रही थी.विपक्ष ने रोज़गार के उसी मुद्दे को उठाने की सबसे ज़्यादा कोशिश की, जिसे तेजस्वी यादव ने अपना मुद्दा बनाया था.कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “देश में जब भी बदलाव आता है तो तूफ़ान बिहार से शुरू होता है. बिहार से ही बदलाव का तूफ़ान पूरे देश में जाता है. आज देश में 40 साल में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी है. छोटे व्यापारियों के काम बंद हो गए.”

पटना में रविवार को हुई महागठबंधन की रैली विपक्षी एकता की पहली बड़ी रैली भी है. यह पहला मौक़ा भी है जब कई विपक्षी दल एकसाथ केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ एकजुट हुए हैं.पटना में विपक्षी नेताओं ने नौकरी के अलावा जातिगत गणना पर भी बात की है.विपक्ष ने हर साल दो करोड़ नौकरी, किसानों की आय दोगुनी, सभी ग़रीबों को पक्के मकान जैसे मुद्दों पर भी बात की, लेकिन इन सबके विकल्प में उनकी योजना क्या होगी, इस पर ज़्यादा कुछ नहीं कहा गया.केंद्र सरकार के दस साल हो चुके हैं और बहुत से लोगों का मोहभंग भी हुआ है लेकिन वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए विपक्ष को कुछ ठोस बातें करनी होंगी.मसलन देश में अगर बेरोज़गारी अपने रिकॉर्ड स्तर पर है तो लोगों को रोज़गार देने के लिए विपक्षी दलों के पास क्या योजना है, इसकी ज़्यादा चर्चा नहीं की गई.

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