सिटी पोस्ट लाइव :इंडिया गठबंधन की इसी महीने होनेवाली बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वन टू वन के फॉर्मूले पर चर्चा होगी.आईएनडीआईए की दिल्ली में आयोजित बैठक का यह मुख्य एजेंडा होगा. पिछले चुनाव में जेडीयू की 16 सीटों पर जीत हुई थी. इन सीटों पर दूसरा स्थान राजद या कांग्रेस उम्मीदवार का था. इनमें से कई ऐसी सीटें हैं, जिनपर पूर्व में लगातार इन्हीं दोनों दलों की जीत होती रही है.
सामान्य मामलों में सीटों की अदला बदली आसानी से हो जाती है, लेकिन JDU-RJD –कांग्रेस की कुछ ऐसी भी सीटें हैं, जिनपर इन दलों की इज्जत फंस सकती है. उन्हीं में से एक है कटिहार. पिछली बार जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी वहां से जीते थे. कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर उम्मीदवार थे. कटिहार से तारिक पांच बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं. चार बार कांग्रेस और एक बार कांग्रेस की मदद से एनसीपी के टिकट पर जीते.
मधेपुरा भी ऐसी ही सीट है, जिसपर राजद और जदयू प्रतीक के रूप में अपना अधिकार चाहता है. 1991 और 1996 में शरद यादव एकीकृत जनता दल उम्मीदवार की हैसियत से यहां से चुनाव जीते. 1997 में जनता दल से राजद अलग हुआ। 1998 में शरद को हराकर राजद के लालू प्रसाद चुनाव जीते. लालू से अलग होने के बाद शरद ने जदयू के टिकट पर 1999 और 2009 में जीत हासिल की.
2019 में वे जदयू के दिनेश चंद्र यादव के हाथों पराजित हुए. सीतामढ़ी में जदयू और राजद के बीच भी संघर्ष है. 1998 से जदयू और राजद अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इस अवधि में लोकसभा के छह चुनाव हुए. तीन बार जदयू और दो बार राजद की जीत हुई है. इस समय दोनों दल दावा कर रहे हैं.कांग्रेस वाल्मीकिनगर, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया एवं मुंगेर और आरजेडी सीतामढ़ी, झंझारपुर, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, भागलपुर, बांका एवं जहानाबाद। नालंदा, गया और काराकाट महागठबंधन की निरापद सीटें हैं.
पिछले चुनाव में नालंदा और गया से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. यह अब राजग के साथ है. काराकाट-रालोसपा के खाते में था। रालोसपा अब राष्ट्रीय लोक जनता दल है. यह राजग का हिस्सा है.तेजस्वी यादव स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से सभी 40 लोकसभा सीटों का सर्वेक्षण करा रहा है विषय यह है कि किन सीटों पर महागठबंधन के किस घटक दल की संभावना अधिक प्रबल है. सर्वेक्षण का परिणाम भी वन टू वन के फार्मूला को प्रभावित कर सकता है.