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अहमदाबाद । भारत में भी ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस’ से संक्रमित मरीज सामने लगे हैं। कर्नाटक के बाद अब गुजरात में एक दो महीने का बच्चा एचएमपीवी से पॉजिटिव पाया गया है। अहमदाबाद के चांदखेड़ा के निजी हॉस्पिटल में बच्चे को दाखिल किया गया है। हालांकि बच्चे की तबियत स्थिर है। हॉस्पिटल प्रशासन के अनुसार अभी घबराने की जरूरत नहीं है। जानकारी के अनुसार बच्चे की तबियत पिछले 15 दिनों से सर्दी-बुखार के कारण खराब थी।
तबियत में सुधार नहीं होता देख परिजनों ने उसे अहमदाबाद के चांदखेड़ा स्थित ऑरेंज हॉस्पिटल में भर्ती कराया। बच्चे के परिजन अरवल्ली जिले की मोडासा तहसील के एक गांव के रहने वाले हैं। हॉस्पिटल के डॉ नीरव पटेल ने बताया कि बच्चे को 5 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। अलग-अलग वायरस के सक्रिय होने के कारण बच्चे की रिपोर्ट कराई गई। लेबोरेटरी की जांच में बच्चे को एचएमपीवी से संक्रमित होने की जानकारी मिली है।
फिलहाल बच्चे की तबियत स्थिर है और घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि किसी को सर्दी, श्वास लेने में तकलीफ या छींक आ रही हो तो उन्हें मास्क पहनना चाहिए। दूसरी ओर मामले में गुजरात सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल का बयान सामने आया है।
उन्होंने कहा कि यह वायरस पुराना है जो कि 2001 से है। चीन में वायरस अधिक फैला है। कोविड की तुलना में इसका माइल्ड लक्षण है। हॉस्पिटल में इसकी जांच की व्यवस्था की जाएगी। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बच्चे की जांच सरकारी लैब में नहीं हुई है। निजी हॉस्पिटल में यह केस सामने आया है। हालांकि निजी हॉस्पिटल की रिपोर्ट पर शंका करने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं अब गुजरात सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एचएमपीवी को लेकर एडवाइजरी जारी की है।
क्या है HMPV
विशेषज्ञों के अनुसार ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस एक आरएनए वायरस है। यह न्युमोवायरिडे फैमिली के मेटान्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा हुआ है। 2001 में पहली बार डच रिसर्चर ने इसकी खोज की थी। अध्ययनों से पता चला है कि ये वायरस कम से कम 60 साल से मौजूद है। यह एक सामान्य सांस से जुड़ी समस्या है, जो पूरी दुनिया में फैल चुकी है। यह मुख्य तौर से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से एक-दूसरे में फैलता है।
चीन के सीडीसी की वेबसाइट के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल 3 से 5 दिनों का है। एचएमपीवी से होने वाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बार-बार के संक्रमणों को रोकने के लिए काफी कमजोर होती है।
वायरस का सबसे ज्यादा खतरा बच्चे और बुजुर्गों को है।