HMPV के बाद Bird flu का बढ़ा ख़तरा, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट

नागपुर में एक तेंदुआ और 3 बाघों की मौत

Manisha Kumari

सिटी पोस्ट लाइव

पटना: देश में एक बार फिर से बर्ड फ्लू के खतरे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। एचएमपीवी वायरस के बाद अब बर्ड फ्लू जानवरों में तेजी से फैलने लगा है, जो एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह वायरस पहले पक्षियों को निशाना बनाता था, लेकिन अब यह बड़े पैमाने पर जानवरों में भी फैलता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग की टीमों ने इस खतरे को गंभीरता से लिया है और पूरे देश में इस पर निगरानी रखने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके फैलने से न सिर्फ पशु चिकित्सा के क्षेत्र में संकट उत्पन्न हो रहा है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरे की घंटी बन सकता है।

संतकबीरनगर में बखिरा झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों पर पशुपालन विभाग कड़ी निगरानी रख रहा है, साथ ही वन विभाग भी इस कार्य में सहयोग कर रहा है। प्रवासी पक्षियों के माध्यम से बर्ड फ्लू फैलने का खतरा बना रहता है, इसलिए पक्षियों की मौत की सूचना मिलते ही उनके सैंपल एकत्रित कर प्रदेश स्तरीय लैब में भेजे जाएंगे। बर्ड फ्लू पक्षियों में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जिसके कारण बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हो सकती है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर इस बीमारी की जांच की कोई सुविधा नहीं है, इसलिए बरेली की लैब में सैंपल भेजे जाते हैं।

बखिरा झील में ठंड के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं, और इनका शिकार भी किया जाता है, जिससे बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, जिले में एक सर्विलांस टीम का गठन किया गया है, जो किसी भी स्थान पर पक्षियों की मौत की सूचना मिलने पर तुरंत वहां पहुंचकर नमूने संकलित करेगी और उन्हें लैब में भेजेगी।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी सुरेश कुमार तिवारी ने कहा कि बखिरा झील के साथ-साथ मुर्गी फार्मों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। किसी भी स्थान पर बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत होने पर सर्विलांस टीम शीघ्र अपनी जिम्मेदारी निभाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रवासी पक्षियों की निगरानी में पशुपालन विभाग के साथ-साथ वन विभाग भी सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।

इतना ही नहीं, नागपुर स्थित गोरेवाडा रेस्क्यू सेंटर में तीन बाघों और एक तेंदुए की संदिग्ध मौत के मामले में नया खुलासा हुआ है। महाराष्ट्र के वन मंत्री गणेश नाइक ने बताया कि यह सभी जानवर मुर्गी खाने के कारण बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए थे, और बाद में उनकी मौत हो गई। मंत्री ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह साफ हुआ है कि बर्ड फ्लू का संक्रमण मुर्गी के माध्यम से हुआ था। इस संक्रमण के बाद इन जानवरों की मौत हुई।

वन मंत्री ने कहा कि संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए अब रेस्क्यू सेंटर में जानवरों को मुर्गी नहीं दी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि यह वायरस मनुष्यों तक भी पहुंच सकता है, इसलिए केंद्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।  सभी जानवरों के नमूनों को जांच के लिए भोपाल की पशु चिकित्सा प्रयोगशाला भेजा गया था, जहां बर्ड फ्लू के कारण उनकी मौत की पुष्टि की गई।

गोरेवाडा रेस्क्यू सेंटर में लाए गए ये बाघ और तेंदुआ पहले चंद्रपुर से लाए गए थे, जहां मानव-पशु संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही थीं। इन जानवरों में सबसे पहले दिसंबर के अंत में लक्षण दिखने लगे थे, जिनमें बुखार और लंगड़ा होना शामिल था। बाद में इनकी मौत हो गई। इस स्थिति में वन मंत्री ने साइंटिफिक रिपोर्ट का जिक्र किया, जो जल्द प्राप्त होने की संभावना जताई है, लेकिन फिलहाल सुरक्षा उपायों के तहत रेस्क्यू सेंटर में जानवरों को मुर्गी नहीं दी जा रही।

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