सिटी पोस्ट लाइव : आरजेडी ने 22 सीटों पर उम्मीदवारों का अधिकृत तौर पर ऐलान कर दिया है, लेकिन सिवान का नाम ही उस फेहरिस्त में नहीं है. सिवान से हिना शहाब के शौहर मरहूम शहाबुद्दीन चार बार सांसद रहे. उनकी पत्नी हिना शहाब ने भी सिवान से तीन बार आरजेडी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा. तीनों बार उन्हें कामयाबी नहीं मिली. दो बार ओमप्रकाश यादव से वे हार गईं तो एक बार जेडीयू की कविता सिंह ने उन्हें हरा दिया. पति की मौत के बाद हिना ने लंबा इंतजार किया, लेकिन आरजेडी ने उनकी खोज-खबर भी नहीं ली. आखिरकार उन्होंने सिवान से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
हिना ने यूं ही निर्दलीय लड़ने का फैसला नहीं किया. आरजेडी के मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण की बुनियाद रखने वाले मुस्लिम नेताओं में अब्दुल बारी सिद्दीकी, तस्लीमुद्दीन जैसे नेताओं के साथ हिना के पति शहाबुद्दीन की भी बड़ी भूमिका रही थी. इसके बावजूद शहाबुद्दीन के निधन के बाद आरजेडी के किसी कद्दावर नेता या लालू परिवार के किसी सदस्य ने शहाबुद्दीन के परिवार की सुध नहीं ली. यहां तक कि दिल्ली में शहाबुद्दीन के अंतिम संस्कार के वक्त तेजस्वी यादव वहां रहते हुए भी नहीं गए. लालू परिवार से हिना के मन में नफरत की बुनियाद तो उसी वक्त पड़ गई थी.
लोकसभा चुनाव की जब घोषणा हुई तो शिष्टाचारवश भी आरजेडी ने हिना से उनका इरादा जानना मुनासिब नहीं समझा कि क्या वे चुनाव लड़ना पसंद करेंगी. इस बीच एलजेपीआर के अध्यक्ष चिराग पासवान ने उनसे मुलाकात की. सिवान जाने पर पप्पू यादव उनसे मिलते रहे या उनकी खोज खबर लेते रहे. पर, जिनका इंतजार हिना को था, उन्होंने कोई संपर्क रखना उचित नहीं समझा.जब हिना ने निर्दलीय सिवान के मैदान में उतरने की घोषणा कर दी तो अब लालू को होश आया है. उन्होंने सिवान से किसी को आरजेडी प्रत्याशी बनाने से परहेज कर लिया है. इससे यह अनुमान लगाया जाता है कि आरजेडी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने की कोई पहल शुरू की है. हिना इस फेर में पड़ेंगी या अपने स्टैंड पर कायम रहती हैं, यह देखने वाली बात होगी.
हिना की उपेक्षा या उनके निर्दलीय लड़ने की स्थिति में कम से कम उत्तर बिहार के सिवान, गोपालगंज, महाराजगंज, सारण, मोतिहारी जैसी सीटों पर आरजेडी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसका सीधा संदेश मुस्लिम मतदाताओं में यही जाएगा कि आरजेडी ने हिना की अपेक्षा की है. गोपालगंज में विधानसभा के उपचुनाव में हिना फैक्टर का खामियाजा आरजेडी भोग चुका है. मुस्लिम वोटरों ने एआईएमआईएम के प्रत्याशी को वोट कर दिया. नतीजतन आरजेडी प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा.सिवान में हिना की नाराजगी का असर सारण सीट पर दिख सकता है, जहां से लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य उम्मीदवार हैं. करीब 18 फीसदी मुस्लिम आबादी के बावजूद आरजेडी ने सिर्फ दो मुसलमानों को टिकट दिया है, जबकि 14 प्रतिशत आबादी वाले आठ यादवों को उम्मीदवार बनाया है. इसमें हिना शहाब की नाराजगी का असर अगर शामिल हो जाए तो बाकी जगहों की तो छोड़िए, सारण में रोहिणी का रास्ता मुस्लिम वोटर ब्लाक कर सकते हैं. शायद लालू को अब यही डर सताने लगा है और उन्होंने हिना को मनाने के लिए सिवान से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.
हिना शहाब को सिवान के मुसलमानों का खुला समर्थन है. उन्हें सवर्ण वोटरों का साथ मिलना भी पक्का माना जा रहा है. इसकी बड़ी वजह है कि एनडीए के घटक जेडीयू ने इस बार जीरादेई से माले के पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी को टिकट दिया है. सवर्णों पर माले समर्थकों का अत्याचार रोकने में मददगार बन कर शहाबुद्दीन ने सवर्णों में अपनी पुख्ता पैठ बना ली थी. उसी माले के पूर्व विधायक की पत्नी एनडीए से सिवान की प्रत्याशी हैं. ऐसे में नरेंद्र मोदी के नाम पर एनडीए के किसी भी घटक दल को जाने वाले सवर्णों के वोट इस बार शायद ही मिलें. फिलहाल सिवान में सवर्ण वोट की एकमात्र हकदार या दावेदार अभी हिना शहाब ही हैं.
पूर्णिया में अब बागी बन गए कांग्रेस नेता पप्पू यादव का हिना को पूरा समर्थन है. दोनों के बीच यह सहमति भी बनी है कि हिना पूर्णिया में पप्पू के लिए वोट मांगने जाएंगी तो पप्पू सिवान में हिना के प्रचार में आएंगे. पूर्णिया में मुस्लिम वोटों की गोलबंदी हिना करेंगी तो पप्पू सिवान में यादवों को हिना के लिए लामबंद करेंगे. चूंकि जेडीयू ने कविता सिंह को बेटिकट कर दिया है तो उनका समर्थन भी परोक्ष तौर पर हिना को मिलना तय माना जा रहा है.
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