सिटी पोस्ट लाइव
वाराणसी। गर्भावस्था के दौरान देशभर में मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से साक्षी द्वारा लगातार किए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम के तहत एनीमिया मुक्त भारत की भी परिकल्पना साकार की जा रही है इसी के तहत रविवार को पांडेपुर स्थित एक होटल में फॉक्सी के नए प्रोजेक्ट अधुना को लांच किया गया। देश में गायनेकोलोजिस्ट्स की सर्वोच्च संस्था फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एण्ड गायनेकोलोजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया ने प्रोजेक्ट अधुना (Advancing Delivery of Healthcare through Upgraded Newborn and Intrapartum Care Approaches) का लॉन्च किया है। इस पहल का उद्देश्य भारत के चार राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा में निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसव के दौरान देखभाल को सुदृढ़ बनाना है। मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल के लिए साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण के साथ चिकित्सा प्रथाओं को मजबूत बनाने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट अधुना इन राज्यों के 29 चुनिंदा जिÞलों में स्वास्थ्यसेवाओं को बढ़ावा देगा। इस पहल के तहत FOOSI ने सीपीडी सत्रों Continuing Professional Development (CPD) 2 के तहत आयोजित कार्यशाला में चिकित्सकगण डॉक्टरों, नर्सों एवं पैरामेडिक्स स्टाफ नहीं बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और अधुना प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी ली। ये सत्र निजी स्वास्थ्य सुविधाओं की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिन्हें चिकित्सकीय सुविधाओं में तुरंत लागू किया जा सकता है। ये सीपीडी सत्र डॉक्टरों को मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल के लिए नवीनतम नवाचारों, साक्ष्य-आधारित उपायों, कौशल और मुख्य क्षमताओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, ऐसे में यह स्वास्थ्यसेवाओं की सुलभता को बढ़ाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रोजेक्ट के विस्तृत दृष्टिकोण पर बात करते हुए FOGSI के प्रेजीडेन्ट एवं अधुना के प्रोजेक्ट लीड डॉ जयदीप टैंक ने कहा, प्रॉस्टि ADHUNA FOGSI की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है जो व्यावहारिक नवाचारों और साक्ष्य-आधारित प्रथाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ, उच्च गुणवत्ता वाली मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य सेवाओं को हर क्षेत्र में समान रूप से उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है। वाराणसी ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी) की अध्यक्ष डॉ. संगीता राय और सचिव डॉ. इशिता अवस्थी के नेतृत्व में, साथ ही उत्तर प्रदेश की परियोजना राज्य समन्वयक डॉ. ऋतु खन्ना के अमूल्य सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यशाला में आयोजित सत्रों के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर किया गया जैसे इंटरावीनस फेरिक कार्बोक्सीमाल्टोज (IV FCM) के इस्तेमाल से मातृ एनीमिया का प्रबन्धन, पोस्टपार्टम हेमरेज (PPH) के प्रबन्धन के लिए ई-मोटिव बंडल से साक्ष्य जुटाना तथा प्रसव के तीसरे चरण का सक्रिय प्रबन्धन। इस अवसर पर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य, स्तनपान और माताओं की सम्मानजनक देखभाल से जुड़ी अच्छी प्रथाओं पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ चर्चा एवं विचार-विमर्श भी किया गया।