सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बाढ़ के हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे जल प्रलय के रूप में देखा जा रहा है.कोसी और बागमती नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. 22 साल बाद बिहार में कई बांध टूटे हैं. पानी का दबाव इतना है कि कोसी बैराज के 56 फाटकों के गेट खोलने पड़े. इसकी वजह से पानी के सैलाब में आधा बिहार डूबा हुआ है.अब इस त्रासदी का जायजा लेने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निकले हैं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हवाई सर्वेक्षण कर बाढ़ के हालात जायजा लिया. इसके बाद प्रभावितों के लिए राहत का प्रबंध करेंगे.दिल्ली से लौट के बाद नीतीश कुमार हवाई सर्वेक्षण के लिए रवाना हो हुए.सर्वेक्षण से लौट कर बाढ़ को लेकर आपदा प्रबंधन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे.माना जा रहा है बैठक में बाढ़ से प्रभावितों के लिए राहत की उम्मीद होगी.
कोशी और मिथिलांचल में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड से होकर गुजरने वाले कोसी और कमला नदी के जलस्तर में सोमवार की रात मामूली कमी हुई.लेकिन, मंगलवार की अहले सुबह से जलस्तर में फिर वृद्धि शुरू हो गई है. कमला बलान नदी के पूर्वी तटबंध के ऊपर से भिंडुआ पंचायत के गोबराही गांव के सामने लगभग एक किलोमीटर की दूरी में पानी ओवरफ्लो होकर बह रही है, जिससे कोसी व कमला बलान के जलस्तर फिर से वृद्धि होने लगी है. जलस्तर में वृद्धि से निचले इलाकों में बसे लोगों को अब घर छोड़कर पलायन करने की संभावना बनती जा रही है.बाढ़ प्रभावित चारों पंचायत में प्रभावित लोगों को समस्या जस की तस बनी हुई है.
बेतिया जिले के बैरिया प्रखंड के घोडहिया गांव के पास सोमवार की रात पीडी रिंग बांध करीब 20 फीट के आसपास बह गया.बांध के ध्वस्त होने से एक दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है. आधी रात को गांव में बाढ़ का पानी पहुंचा तो ग्रामीण दहशत में आ गए. सहरसा के कई गांवों में बाढ़ के पानी घुसने से हालात बुरे होते जा रहे हैं. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. सहरसा में पश्चिम कोसी तटबंध टूटने के बाद अचानक लोग बेघर हो गये हैं.लोग रहत बचाव कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं.आज खुद मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित ईलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया.
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