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नई दिल्ली: 73 वर्ष के प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। उनके परिवार ने इस दुखद खबर की पुष्टि की है। हुसैन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 मार्च 2023 को जाकिर हुसैन को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
पहली बार 5 रुपये का मेहनताना
जाकिर हुसैन को तबला बजाने की कला उनके परिवार से विरासत में मिली थी। बचपन से ही तबला की धुनों में दिलचस्पी रखने वाले जाकिर हुसैन ने अपनी कला से जल्दी ही पहचान बना ली थी। एक कार्यक्रम में, जब वह सिर्फ 12 साल के थे, अपने पिता के साथ मंच पर परफॉर्म करने गए थे। इस कार्यक्रम में पंडित रविशंकर, बिस्मिल्लाह खान जैसे दिग्गज संगीतकार मौजूद थे। जाकिर की तबले की धुनों से प्रभावित होकर कार्यक्रम के अंत में उन्हें पांच रुपये दिए गए थे। जाकिर हुसैन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके लिए वो पांच रुपये बेहद कीमती थे।
जाकिर हुसैन को मिले कई सम्मान
जाकिर हुसैन को 37 साल की उम्र में 1988 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके बाद, 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण प्रदान किया गया। 22 मार्च 2023 को, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा। इसके अतिरिक्त, जाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत के क्षेत्र में सर्वोत्तम सम्मान, ग्रैमी अवॉर्ड भी प्राप्त हुआ था।
जाकिर हुसैन को मिले सम्मान का विवरण
- 1988 में पद्मश्री
- 2002 में पद्म भूषण
- 2023 में पद्म विभूषण
- 1992 में ग्रैमी अवॉर्ड
- 2009 में ग्रैमी अवॉर्ड
पिता से हुए थे प्रेरित
जाकिर हुसैन को तबला बजाने की प्रेरणा उनके पिता अल्लाह रक्खा से मिली थी, जो खुद एक महान तबला वादक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई थी, और महज 12 साल की उम्र में उन्होंने संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। उनकी छोटी सी उम्र में तबले की धुन सुनकर लोग हैरान रह जाते थे, क्योंकि उनकी उंगलियों से जो आवाज निकलती थी, वह किसी अनुभवी वादक जैसी लगती थी।