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के.के.पाठक को शिक्षा विभाग से हटाने की मांग.

केके पाठक के कई फैसलों से स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ी है. शिक्षकों की उपस्थिति में भी सुधार .

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक संदीप सौरभ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को हटाने की मांग की है. संदीप सौरभ ने कहा कि केके पाठक के कई फैसलों से स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ी है. शिक्षकों की उपस्थिति में भी सुधार हुआ है, लेकिन उनके कई फैसलों से सरकार के बारे में काफी खराब मैसेज जा रहा है. शिक्षक उनकी मनमानी से परेशान हैं.उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नियोजित शिक्षकों को जल्द से जल्द राज्यकर्मी का दर्जा दें. 11 जुलाई को धरने में शामिल शिक्षकों पर कार्रवाई बंद हो.

संदीप सौरभ ने शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों की छुट्टियों की कटौती के सवाल पर कहा कि सरकार पूर्व से निर्धारित शिक्षकों के अवकाश को बहाल करे. अवकाश को रद्द करने का आदेश वापस केके पाठक वापस लें. पाठक सामंती मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं. बच्चों के सामने शिक्षकों को डांटा-फटकारा जा रहा. अपशब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है. इडियट और मोटा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है. शिक्षा विभाग संवेदनशील विभाग है, यहां ऐसे सामंती मानसिकता वाले अफसर की कोई जरूरत नहीं है. उनका जल्द से जल्द तबादला किया जाए.

संदीप सौरभ ने कहा कि राइट टू एजुकेशन का हवाला देकर शिक्षकों की दशकों से चली आ रही पर्व-त्योहारों की घोषित छुट्टियों को मनमाने तरीके से समाप्त कर दिया गया है. जबकि घोषित 60 दिनों के अवकाश और 52 रविवार के अवकाश के बावजूद 253 दिनों का कार्य दिवस होता है, जो राइट टू एजुकेशन के तहत निर्धारित कक्षा 1-5 के 200 कार्य दिवस और कक्षा 6-8 के 220 कार्य दिवस से ज्यादा ही है. फिर भी छुट्टी रद्द करने का फरमान जारी कर दिया गया. इससे शिक्षकों, आम लोगों और सरकार के बीच द्वेष की स्थित उत्पन्न हो रही है.

संदीप सौरभ ने मुख्यमंत्री से मांग कि है कि ऐसे घोर सामंती मानसिकता से ग्रसित व्यक्ति को शिक्षा विभाग से हटाया जाए. यह मांग मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी रखी जाएगी.बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा की बैठक आयोजित कर आगे के आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी.

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