आज होगा होगा फैसला, लालू यादव बाहर रहेगें या होगें अंदर.

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सिटी पोस्ट लाइव : चारा घोटाले के देवघर, डोरंडा, दुमका और देवघर ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है. लालू यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं और अपना इलाज करा रहे हैं. लेकिन सीबीई इस मामले में लालू यादव की सजा बढवाना चाहती है. सीबीआई के अनुसार इस मामले में लालू यादव को सात साल की सजा होनी चाहिए थी जबकि कोर्ट ने केवल तीन साल की सजा सुनाई है.सीबीआई ने लालू यादव की जमानत याचिका खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.आज सुनवाई होनी है.  ऐसे में एक बार फिर देवघर ट्रेजरी से जुड़े मामले में सजा बढ़ाने की मांग को लेकर राजद सुप्रीमो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और वे जेल जा सकते हैं.

 

चारा घोटाले में दोषी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र को आधार बनाते हुए अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि उन्हें हिरासत में रखने से सीबीआई का कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. दरअसल, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं और अपना इलाज कराने के नाम पर जमानत पर जेल से बाहर हैं. लेकिन, इन दिनों वे कई राजनीतिक गतिविधियों में भी हिस्सा ले रहे हैं. सीबीआई की दलील है कि लालू प्रसाद यादव को कई मामलों में कम सजा मिली है ऐसे में उन्हें जो भी सजा कोर्ट ने दी है उसे पूरी भुगतनी चाहिए.

 

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ चारा घोटाले से संबंधित डोरंडा कोषागार मामले में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा लालू यादव को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली सीबीआई की याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करेगी.लालू यादव ने अपने हलफनामे में  कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सामान्य सिद्धांतों और समान नियमों पर आधारित है.

 

सीबीआई ने दुमका, डोरंडा, चाईबासा और देवघर मामलों में मिली जमानत को चुनौती दी है. सीबीआई की ओर से इस याचिका में कहा है कि लालू प्रसाद को देवघर मामले में सिर्फ साढ़े 3 साल की सजा दी गई है, जबकि उन्हें अधिकतम 7 साल की सजा दी जानी चाहिए थी. देवघर मामले में लालू प्रसाद यादव, बेक जुलियस समेत कुल छह लोगों को 3 साल से 6 साल तक की सजा सुनाई गई है. सीबीआई की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है लालू प्रसाद की संलिप्तता को देखते हुए उन्हें अधिकतम 7 साल की सजा मिलनी चाहिए.

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