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पटना: बिहार में कांंग्रेस ने सिर्फ़ कन्हैया कुमार को नहीं उतारा है, बल्कि तीन बड़ी कंपनियों को भी उतार दिया है। ये तीनों कंपनियां सीधे दिल्ली से निर्देश ले रही हैं और बिहार की 100 वैसी सीटों पर चुनावी सर्वे और नेताओं की ज़मीनी ताकत के बारे में जानकारी जुटा रही हैं। इस खबर के सामने आने के बाद, आरजेडी आवाक है। पहले से ही आरजेडी में इस बात को लेकर बेचैनी थी कि बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने अब तक राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव या राजद के युवराज तेजस्वी यादव से मुलाकात नहीं की। यहां तक कि कई बार बिहार में अकेले चुनाव लड़ने के संकेत भी देने से परहेज नहीं किया। उधर, पप्पू यादव ने एलान कर दिया है कि मैं और कन्हैया हवा और तूफ़ान हैं। अब हमें कोई नहीं रोक सकता।
तो बिहार में जिन तीन कंपनियों को कांग्रेस ने उतारा है उनकी बात बाद में करेंगे, पहले बात करते हैं कन्हैया कुमार की। जब कन्हैया इस बार 10 मार्च को बिहार कांग्रेस के कार्यालय सदाकत आश्रम पहुंचे, तो एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार बदले-बदले नज़र आए। अपने ‘वाकपटु स्वभाव’ से अलग कन्हैया कुमार बहुत कम और संभलकर बोले। कन्हैया बिहार कांग्रेस की 16 मार्च से शुरू हो रही ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा के बारे में तो बोले लेकिन अपने सहयोगी दल राजद और तेजस्वी यादव पर बार-बार सवाल पूछे जाने पर भी चुप रहे। राजद पर कन्हैया कुमार मौन साधे रहे लेकिन पटना के सदाकत आश्रम में हुई उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस सांकेतिक तौर पर बहुत कुछ कह गई।
कन्हैया बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं। उन्होंने 28 सितंबर 2021 को दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने के बाद सदाकत आश्रम में अब तक महज़ तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं, लेकिन जब-जब कन्हैया बिहार में खुलकर बोले हैं, तब तब कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राजद और ख़ासतौर पर तेजस्वी यादव असहज हो गए हैं। दरअसल, राहुल गांधी की कोशिश बिहार में कांग्रेस को 1990 से पहले वाली स्थिति में लाने की है और यह प्लान तब सार्वजनिक हो गया जब बिहार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने पटना में राहुल गांधी के सामने ही यह कह डाला।
18 जनवरी को राहुल गांधी ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ में आए तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि आप जिस तरह से दक्षिण भारत और यूपी को वक्त देते हैं, उस तरह से बिहार को दीजिए तो कांग्रेस को 90 से पहले की स्थिति में ला देंगे। अब 16 मार्च से पश्चिमी चंपारण स्थित भितिहरवा आश्रम से कांग्रेस ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा निकाल रही है। अघोषित रूप से पार्टी ने कन्हैया कुमार को इस यात्रा का लीड चेहरा घोषित कर दिया है। तो क्या कन्हैया कुमार के जरिए, कांग्रेस बिहार में 1990 के पहले वाली स्थिति में आना चाहती है। तो जवाब है हां, यह यात्रा 24 दिन की होगी जिसमें दो बार राहुल गांधी आएंगे।
कांग्रेस ने फ़रवरी 2005 के चुनाव में 10, नवंबर 2005 में 09, साल 2010 के चुनाव में 04, 2015 के विधानसभा चुनाव में 27 और साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटें जीती थीं, जबकि 1990 में पार्टी को 71 सीट मिली थी मतलब कि कांग्रेस का ख्वाब फिर से बिहार में 71 या इससे ज़्यादा सीटों वाली पार्टी बनने का है और इसके लिए बिहार में उतारी गई हैं तीन कंपनियां। जो उन 100 सीटों पर काम कर रही हैं जहां कांग्रेस को लगता है कि अगर पूरी ताकत लगाई जाई, तो जीत मिल सकती है। अब ये तीनों कंपनियां, कृष्णा अल्लावारू और कन्हैया कुमार मिलकर बिहार में कांग्रेस को कैसे 1990 से पहले वाली स्थिति में लाते हैं यह देखने का इंतज़ार तो पूरा बिहार कर रहा है।