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केंद्र ने बिहार सरकार को दिया तगड़ा वित्तीय झटका.

बैंक खातों में जमा केंद्रांश की राशि पर मिलनेवाले ब्याज पर केंद्र सरकार ने किया अपना दावा.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार के बैंक खातों में जमा केंद्रांश की राशि पर मिलनेवाले ब्याज पर केंद्र सरकार ने अपना दवा कर दिया है.इस  वर्ष 31 मार्च तक बतौर ब्याज लगभग 275 करोड़ रुपये मिलनेवाली रकम को  31 सितंबर तक केंद्र सरकार को वापस करनी होगी, अन्यथा वह विशेष वित्तीय सहायता की अगली किस्त जारी नहीं करेगी. इस वित्तीय वर्ष में लगभग 13 हजार करोड़ रुपये मिलने हैं. उसमें से अब तक छह हजार करोड़ रुपये मिल चुके हैं. पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) में आठ हजार करोड़ की विशेष वित्तीय सहायता मिली थी.

केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) का समय पर क्रियान्वयन नहीं होने के कारण बैंकों में केंद्रांश की राशि शेष रह गई है. ब्याज उसी पर अर्जित है. विधि, कृषि, समाज कल्याण, पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, भवन निर्माण व लघु जल संसाधन विभाग आदिक के बैंक खातों में केंद्रांश पर ब्याज अर्जित हुआ है.केंद्र का कहना है कि यह राशि विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च के लिए दी गई थी. चूंकि राशि केंद्र की दी हुई है, लिहाजा ब्याज पर उसी का हक बनता है. केंद्र से मिले इस आशय के पत्र के बाद वित्त विभाग ने राशि की गणना कर ली है, जो भारत के संचित कोष में जमा करा दी जाएगी.

ब्याज की राशि को केंद्र ने विशेष वित्तीय सहायता और सीएसएस से जोड़ दिया है. अगर समय से यह राशि भारत के संचित कोष में जमा नहीं कराई जाती है तो सीएसएस और वित्तीय सहायता की अगली किस्त नहीं मिलेगी. अभी सीएसएस में प्रति वर्ष औसतन 20 हजार करोड़ रुपये मिल रहे हैं.केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए राज्य सरकार भी अपना अंशदान करती है. राज्य सरकार प्राय: यह शिकायत करती रही है कि उसकी इच्छा और आवश्यकता के विरुद्ध ऊपर से योजनाएं थोप दी जाती हैं. उन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्यांश के रूप में राज्य पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ जाता है, जबकि उसके लिए विकास व कल्याण के दूसरे काम महत्वपूर्ण होते हैं.

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