सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में खरमास के खत्म हो जाने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है.सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को साधने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार के साथ साथ फेरबदल भी करनेवाले हैं.मंत्रिमंडल में फेरबदल से क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन बनाने जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा और राज्य में राजनीतिक स्थिरता भी सुनिश्चित की जाएगी.बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं. ऐसे में क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं.सीमांचल के कटिहार , पूर्णिया , अररिया और किशनगंज वाले क्षेत्र के लिए प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है.क्योंकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मंत्री पद से इस्तीफा देने की संभावना है.
शाहाबाद (भोजपुर, कैमूर, बक्सर और रोहतास), मगध (औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल), चंपारण (पूर्वी और पश्चिमी चंपारण) और सारण के लिए भी प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है. सूत्रों के मुताबिक जायसवाल बीजेपी की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति के अनुसार अपना मंत्री पद छोड़ सकते हैं बीजेपी की तरफ से मंत्रिमंडल में उच्च जाति, ओबीसी और ईबीसी के चेहरे शामिल करके सामाजिक संतुलन बनाया जा सकता है.सूत्रों के अनुसार, इस विस्तार से कम से कम आधा दर्जन मंत्रियों का अतिरिक्त बोझ कम करने में मदद मिलेगी, जो दो या अधिक विभागों के प्रभारी हैं.
वर्तमान में मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 30 मंत्री हैं. विस्तार में बीजेपी के चार और जदयू के दो विधायकों को शामिल किए जाने की संभावना है. बीजेपी के दो उपमुख्यमंत्रियों – सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा – सहित 15 मंत्री हैं. जदयू के नीतीश सहित 13 मंत्री हैं. जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को एक पद मिला है, जबकि निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह भी बिहार मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं, जिसमें अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं.