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पटना: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की प्रिलिम्स परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पहले पटना उच्च न्यायालय (HC) जाने की सलाह दी और कहा कि वह सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने याचिका पर यह फैसला सुनाया।
याचिका में प्रदर्शनकारी छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार जिले के SP और DM के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। इसके अलावा, याचिका में आरोप लगाया गया था कि बीपीएससी परीक्षा में व्यापक धांधली हुई है, और इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में सीबीआई से कराई जाए। इस मामले पर याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि छात्रों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले में दखल लिया जाए। इस पर CJI ने कहा, “हम आपकी भावनाओं को समझते हैं, लेकिन पहले आपको पटना HC में जाना चाहिए।”
इस फैसले से छात्रों में निराशा और आक्रोश का माहौल है। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत और समय इस परीक्षा में लगा दिया, और अब इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी के कारण उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है। अब यह देखना होगा कि छात्रों की नाराजगी और आंदोलन आगे किस रूप में उभरता है, और क्या राज्य सरकार या न्यायपालिका छात्रों के हक में कोई ठोस कदम उठाती है।