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पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा में कथित धांधली का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पूरी परीक्षा प्रक्रिया में व्यापक धांधली हुई है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराई जाए।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस मामले की तत्काल सुनवाई हो और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक निष्पक्ष और उच्च स्तर की जांच की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला सार्वजनिक हित से जुड़ा है और इसका प्रभावी समाधान होना चाहिए। इस मामले में छात्रों और अभ्यर्थियों के बीच गहरी निराशा और आक्रोश है। कई उम्मीदवार अपनी मेहनत और भविष्य के लिए न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि यदि इस धांधली की सही जांच नहीं हुई तो न केवल उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा, बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठेंगे।
बता दें कि बीपीएससी री-एग्जाम की परीक्षा 4 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई थी, जिसमें 8,200 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। बाकी 6,000 अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा का बायकॉट किया है। हालांकि, 13 दिसंबर 2024 को बापू परीक्षा केंद्र पर कुल 12,000 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे थे। बापू परीक्षा केंद्र पर परीक्षा के दौरान धांधली होने की वजह से इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद यह विवाद विकराल रूप धारण कर गया।
बीपीएससी अभ्यर्थियों ने गर्दनीबाग में बापू परीक्षा रद्द करने के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया, जिसमें कई कोचिंग संस्थानों ने भी अभ्यर्थियों का समर्थन किया। इस प्रदर्शन के दौरान गुरू रहमान सर को प्रशासन की तरफ से 3 जनवरी तक धरने में शामिल नहीं होने की हिदायत दी गई थी। वहीं, गांधी मैदान में जनसुराज संस्थापक प्रशांत किशोर बीपीएससी री-एग्जाम को लेकर चार दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हुए हैं, और यह अनशन अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। बीपीएससी री-एग्जाम को लेकर विवाद अब तेज होता जा रहा है, और अभ्यर्थी न्याय की उम्मीद में संघर्ष कर रहे हैं।