सिटी पोस्बिट लाइव :बिहार में बना महागठबंधन ही वह बुनियाद है, जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी विरोधी दलों का ‘इंडिया’ गठबंधन बना है.अब लालू और नीतीश कुमार पर ही बिहार की लोकसभा की 40 सीटों के बँटवारे की ज़िम्मेदारी भी है. ख़ास बात यह है कि बिहार में सीटों पर समझौते से देश भर में ‘इंडिया’ के सहयोगी दलों को एक रास्ता मिल सकता है.बिहार में सीटों के बँटवारे का काम बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.अगले साल के लोकसभा चुनाव में सीटों के बँटवारे पर कांग्रेस अपनी उम्मीदें कई बार ज़ाहिर कर चुकी है.कांग्रेस अगले साल के लोकसभा चुनावों में साझेदारी के तहत बिहार में क़रीब 9 सीटें चाहती है. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने इतनी ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.
इसी तरह सीटों के बँटवारे को लेकर सीपीआईएमएल ने आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव को अपना प्रस्ताव भेज दिया है.सीपीआईएमएल सीटों का बँटवारा साल 2020 के विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर चाहती है.साल 2020 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन में जेडीयू शामिल नहीं थी और इसमें वामपंथी पार्टियों का प्रदर्शन बेहतर रहा था. उन चुनावों में सीपीआईएमएल ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसमें 12 सीटों पर उसकी जीत हुई थी.जबकि कांग्रेस ने साल 2020 के विधानसभा चुनावों में 70 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें 19 की जीत हुई थी. इस लिहाज से सीपीआईएमएल का दावा कांग्रेस के लगभग बराबर सीटों का है.
साल 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 पर जीत दर्ज की थी. उस वक़्त बीजेपी के साथ समझौते का भी जेडीयू को फ़ायदा हुआ था. ऐसे में उन सीटों पर दूसरे नंबर पर रहने वाले ‘इंडिया’ के सहयोगी दल भी अब अपना दावा पेश कर सकते हैं.मसलन कोसी-सीमांचल की सुपौल लोकसभा सीट पर साल 2019 में जेडीयू ने 56% वोट के साथ जीत दर्ज की थी.इस सीट पर कांग्रेस की रंजीता रंजन ने क़रीब 30% वोट हासिल किए थे. कटिहार सीट पर साल 2019 में जेडीयू ने 50% वोट के साथ कब्ज़ा किया था, लेकिन यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक़ अनवर ने भी 44% वोट हासिल किए थे.
इसी इलाक़े की पूर्णिया लोकसभा सीट भी जेडीयू ने 54% वोट से साथ जीती थी, जबकि कांग्रेस यहां 32% वोट के साथ दूसरे नंबर पर थी.इस मामले में आरजेडी और जेडीयू के बीच भी पिछले लोकसभा चुनाव की लड़ाई काफ़ी दिलचस्प थी. उन चुनावों में जहानाबाद लोकसभा सीट पर जेडीयू ने कब्ज़ा किया था, लेकिन आरजेडी उस वक़्त क़रीब 1100 वोट से हारी थी.यही हाल सीतामढ़ी, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, भागलपुर और बांका लोकसभा सीटों का है, जहां साल 2019 में जेडीयू की जीत हुई थी, जबकि आरजेडी दूसरे नंबर पर थी.पटना साहिब और बेगूसराय जैसी लोकसभा सीटें भी हैं, जिसे बीजेपी ने जीता था. पटना साहिब से कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा दूसरे नंबर थे, जो अब कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए हैं.
बेगूसराय सीट पर सीपीआई के टिकट पर कन्हैया कुमार दूसरे नंबर पर थे, जो अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.पिछले लोकसभा चुनावों में आरजेडी को किसी सीट पर जीत नहीं मिली थी, इसलिए फ़िलहाल उसे समझौते में अपनी जीती हुई कोई सीट नहीं छोड़नी पड़ेगी.सीटों के इस समझौते के लिए सबकी नज़र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी है .नीतीश विपक्षी एकता की कोशिश में लगे हुए थे और अब हो सकता है कि इसके लिए उन्हें अपनी कुछ सीटों की क़ुर्बानी देनी पड़े और इसकी राजनीतिकि प्रतिक्रिया भी दिलचस्प हो सकती है.