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INDIA अलायंस की बड़ी चुनौतियाँ.

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सिटी पोस्ट लाइव : विपक्षी दलों के INDIA अलायंस (Opposition INDIA Alliance) की चार बैठकें भी हो गईं, लेकिन सीट-शेयरिंग (Seat Sharing) और पीएम उम्मीदवार समेत कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर अब तक कोई आम राय अब तक नहीं बन पाई है. मोदी सरकार को हराने की रणनीति पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में बुलाई गई INDIA अलायंस की चौथी बैठक में अंदरूनी मतभेद और खींचतान खुलकर सामने आ गए.

नई दिल्ली की मीटिंग में TMC प्रमुख ममता बनर्जी और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम INDIA अलायंस के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाकर कांग्रेस को ही पटखनी देने की कोशिश की. इस प्रस्ताव पर नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने भी चुप्पी साधकर नाराजगी का इजहार किया. दोनों ही नेता गठबंधन की बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए. अखिलेश यादव भी नई दिल्ली से सीधे लखनऊ के लिए रवाना हो गए.

इस मीटिंग के बाद क्षेत्रीय दलों की आपसी खींचतान और मतभेद भी सामने आ गए हैं. चार ऐसे मुद्दे हैं, जिनको हल किए बिना विपक्षी एकता शायद आकार नहीं ले सकेगी.विपक्षी गठबंधन के लिए सबसे बड़ा मुद्दा राहुल गांधी का नेतृत्व है. ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल शायद नहीं चाहते कि राहुल गांधी गठबंधन का चेहरा बने या गठबंधन का नेतृत्व करें. इसलिए नई दिल्ली की मीटिंग से पहले ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की मुलाकात हुई थी. मीटिंग में ममता बनर्जी ने कांग्रेस को हैरान करते हुए खरगे का नाम पीएम उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ा दिया. केजरीवाल ने बिना देरी किए इस प्रस्ताव का समर्थन भी कर दिया.

विपक्षी गठबंधन के कुल 28 में से 12 दलों ने खरगे के नाम के प्रस्ताव का समर्थन किया है. इससे कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो गई, क्योंकि ज्यादातर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के पक्ष में हैं. हालांकि, मल्लिकार्जुन खरगे ने मुद्दे को यह कहते हुए टाल दिया कि चुनाव बाद गछबंधन के जीतने पर ही इस बात पर चर्चा होगी. गठबंधन में खींचतान का तीसरा मुद्दा नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की नाराजगी है. नई दिल्ली की बैठक में भी संयोजक पद पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका. हालांकि, ममता बनर्जी ने ये कहा था कि खरगे को या तो पीएम उम्मीदवार बनाया जाय या गठबंधन का संयोजक. लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है.

बीजेपी से रिश्ता तोड़ने के बाद से विपक्षी दलों को एकजुट करने में नीतीश कुमार ने बड़ी भूमिका निभाई है. इस लिहाज से नीतीश को उम्मीद है कि उन्हें कोई न कोई जिम्मेदारी दी जाएगी. लेकिन बिना बात किए खरगे का नाम पीएम उम्मीदवार और गठबंधन के संयोजक के तौर पर बढ़ा दिया गया. संयोजक के लिए नीतीश कुमार का नाम ही नहीं लिया गया. मीटिंग खत्म होते ही नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादतव ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आए. नीतीश ने इससे पहले तीसरी मीटिंग के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस स्किप की थी.

सीट शेयरिंग को लेकर भी बड़ा पेंच है. टीएमसी ने सीटों का बंटवारा करने के लिए 31 दिसंबर तक की डेडलाइन अपनी ओर से तय कर दी है. सीटों के तालमेल के लिए मंगलवार को 6 सदस्यीय अनौपचारिक समिति का ऐलान किया गया है. इसमें अलग-अलग पार्टियों के नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है.  आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस को सीटें देने को तैयार नहीं है. सीट शेयरिंग के लिए 31 दिसंबर तक की डेडलाइन दी गई है. लेकिन केजरीवाल 30 दिसंबर तक विपश्यना क्लासेस के लिए दिल्ली से बाहर चले गए हैं.

INDIA गठबंधन के लिए कई राज्य ऐसे हैं, जहां सीटों का बंटवारा आसान नहीं दिखता है. खासतौर से पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, पंजाब और दिल्ली में सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझाने की चुनौती है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सपा कितनी सीटें देगी? इसका जवाब भी खोजा जाना है. आम आदमी पार्टी की राज्य यूनिट सीट शेयरिंग समझौते के खिलाफ है. इसलिए अब छह सदस्यों की अनौपचारिक समिति इसपर तेजी से मंथन करेगी. समिति के सदस्य मल्लिकार्जुन खरगे (कांग्रेस), ममता बनर्जी (TMC), अखिलेश यादव (SP), नीतीश कुमार (JDU), शरद पवार (NCP) और अरविंद केजरीवाल (AAP) हैं.

पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर ममता बनर्जी ढील देने के मूड में नहीं दिखती हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या TMC, कांग्रेस और लेफ्ट तीनों गठबंधन करेंगे? लेफ्ट पार्टियों की राज्य यूनिट भी सीट समझौते के खिलाफ है. बंगाल की 6 सीटों पर कांग्रेस की नजर है. टीएमसी इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है.INDIA गठबंधन के लिए महाराष्ट्र को लेकर भी दिक्कत है. यहां शिवसेना (UBT) बड़ा भाई बनेगी. यानी सीट शेयरिंग के मामले पर शिवसेना (UBT) का जोर रहेगा. कांग्रेस, एनसीपी के शरद पवार और कुछ छोटे दलों में सीटों का बंटवारा होगा.बिहार में जेडीयू-आरजेडी बराबर 17-17 सीटों पर लड़ सकती हैं. कांग्रेस को पांच और लेफ्ट को एक सीट मिल सकती है. झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम, आरजेडी और लेफ्ट में सीटों का बंटवारा हो सकता है. दिल्ली और पंजाब में AAP से गठबंधन होगा या नहीं, ये अभी साफ नहीं हो पाया है.

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