सिटी पोस्ट लाइव : आइएनडीआइए (I.N.D.I.A) गठबंधन की एकता की सबसे बड़ी परीक्षा बिहार में है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD Supremo Lalu Yadav) के प्रयास से तैयार आइएनडीआइए में बिहार में गठबंधन में सम्मिलित दलों के बीच सीट बंटवारा कोई आसान काम नहीं है. 40 लोक सभा सीटों (Lok Sabha Seat) वाले बिहार में कांग्रेस व वामदलों (भाकपा, माकपा व भाकपा माले) की मांग को पूरा करने के लिए मजबूत दलों (जदयू व राजद) को ही बड़ा दिल दिखाते हुए अपने कोटे में कटौती करनी पड़ेगी.
पिछले चुनाव में एनडीए (NDA) व महागठबंधन (Mahagathbandhan) के कुछ साथी पाला बदल चुके हैं.एनडीए से नाता तोड़ जदयू (JDU) अब आइएनडीआइए के साथ है, जबकि आइएनडीआइए (I.N.D.I.A) के साथी वामदल पिछले चुनाव में किसी के साथ नहीं थे.हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) (Hindustani Awam Morcha) व उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) एनडीए के साथ जुड़ चुके हैं. सीटें 40 ही हैं और दोनों ही खेमों को सभी को इसी में समाहित करना है और संतुष्ट भी रखना है.
पिछले चुनाव में एनडीए के साथ रहे जदयू (JDU) ने 17 सीटों पर लड़कर 16 में जीत दर्ज की थी, जिनमें आठ सीटों पर राजद (RJD) व पांच पर कांग्रेस (Congress) दूसरे नंबर पर रही थी. 19 सीटों पर लड़ने के बावजूद राजद के हाथ एक भी सीट नहीं लगी थी, जबकि नौ सीटों पर लड़ी कांग्रेस एक पर ही कब्जा जमा पाई थी.किशनगंज (Kishanganj) की यही एकमात्र सीट एनडीए के हाथ से फिसली थी. आइएनडीआइए में सम्मिलित जदयू, राजद, कांग्रेस व वामदल, सभी ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहते हैं. अब सीटों के लिए प्रस्ताव मांगा जाने लगा है.
सूत्रों के अनुसार, माले ने 9 सीटों की मांग की है.भाकपा व माकपा ने भी कम से कम दो सीटों की मांग की है.पिछले चुनाव में नौ सीटों पर लड़ी कांग्रेस (Congress) इस बार ज्यादा सीट की उम्मीद लगाए बैठी है.JDU अपने एक भी सिटिंग सीट छोड़ने को तैयार नहीं है. विधानसभा में सबसे बड़ा दल राजद भी जदयू से कम पर समझौता नहीं करने वाला. 2019 के फार्मूले के अनुसार, उसका दावा 19 का ही रहने वाला है, लेकिन माना जा रहा है कि इस एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कुछ पीछे हट सकते हैं. मुंबई में आइएनडीआइए की बैठक के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में लालू प्रसाद कह ही चुके हैं कि सब ठीक होगा.अपना कुछ नुकसान करके भी हम आइएनडीआइए को जिताएंगे. नुकसान से तात्पर्य सीटों में कमी को लेकर ही था. इसलिए समझा जा सकता है कि कुछ सीटों पर पेच फंसने के बावजूद उसकी राह निकालने की तैयारी हो रही है.