सिटी पोस्ट लाइव
पटना: पूर्व सांसद आनंद मोहन ने एनडीए को तल्ख चेतावनी दे डाली है। आनंद मोहन ने कहा है कि तिरहुत स्नातक चुनाव (विधान परिषद) में हार के बाद एनडीए आत्ममंथन करे। एक व्यक्ति के अहंकार की भेंट चढ़ गया यह चुनाव। हालात अच्छे नहीं दिख रहे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हमें कोई बंधुआ मज़दूर न समझे। सिटी पोस्ट लाइव से खास बातचीत में आनंद मोहन ने आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए के सामने मौजूद खतरे, सर्वे और स्मार्ट मीटर को लेकर लोगों की जबर्दस्त नाराज़गी, और शिक्षकों के आक्रोश पर खरी-खरी बात की।
आनंद मोहन ने कहा कि तिरहुत स्नातक चुनाव में एनडीए की हार यह बताती है कि हालात ठीक नहीं हैं। ज़मीन के सर्वे और स्मार्ट मीटर को लेकर लोगों में गहरा आक्रोश है। आनंद मोहन ने कहा कि सर्वे की वजह से लोग परेशान हैं। हालत यह है कि हर दिन नियमों में बदलाव कर दिया जा रहा है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है और इससे यह भी झलक रहा है कि सरकार और विभाग की ज़मीन सर्वे को लेकर तैयारी पूरी नहीं है।
आनंद मोहन ने तिरहुत स्नातक चुनाव (विधान परिषद) में एनडीए की हार के लिए गुटबाज़ी को जिम्मेवार ठहराया। आनंद मोहन ने कहा कि वहां से चेतन आनंद सहित पांच राजपूत विधायक हैं। इनमें चेतन आनंद, राजू सिंह, अरुण सिंह, अशोक सिंह, संजय सिंह शामिल हैं। किसी को नहीं पूछा गया। दो सांसद हैं वीणा सिंह और लवली आनंद। किसी को नहीं पूछा गया। मैं वहां से पूर्व सांसद रहा हूं, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी नेता को पोस्टर-बैनर तक में जगह नहीं दी गई। देवेश चंद्र ठाकुर पर सीधा तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उनकी भाषा अहंकार की भाषा है। न कभी हारे हैं न कभी हारेंगे। टाइगर अभी ज़िंदा है। चार बार जीते हैं। आनंद मोहन ने तंज कसते हुए कहा कि जो चार बार से जीत रहा था, वह चौथे नंबर पर क्यों चला गया। आनंद मोहन ने कहा कि हमलोगों से किसी ने संपर्क नहीं किया।
आनंद मोहन ने कहा कि मैं बोलता हूं, तो लोगों को मिर्ची लग जाती है। मैंने विधानसभा उपचुनाव में एनडीए को जिताने के लिए कैंप किया। जो कृतघ्न होगा वही इससे इनकार करेगा। लोग कह रहे हैं कि मैं एनडीए में नहीं हूं, तो अब मैं स्वतंत्र हूं फ़ैसला लेने के लिए।
आनंद मोहन ने एनडीए को आत्ममंथन की सलाह देते हुए कहा कि मैं यह बताना चाहता हूं कि हम किसी के बंधुआ मज़दूर नहीं हैं। हम किसी के गुलाम नहीं हैं। हम भी सोचेंगे कि हमें क्या करना है।
आनंद मोहन ने कहा कि राज्य के शिक्षकों में गहरा आक्रोश है। एक शिक्षक 10 वोट प्रभावित करता है, और एक विधानसभा में सात हज़ार शिक्षक हैं, तो 70 हज़ार मतों पर असर पड़ सकता है। आनंद मोहन की नीतीश सरकार और एनडीए से नाराज़गी साफ-साफ़ दिखी। आनंद मोहन ने कहा कि सर्वे की वजह से हर परिवार में लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं। स्मार्ट मीटर की वजह से बिल ज़्यादा आ रहा है। लोग परेशान हैं। आनंद मोहन ने कहा कि मैंने यह बात सीएम नीतीश कुमार को मिलकर भी बताई है।