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पटना: आज विश्व एड्स दिवस है। एड्स से बचने का एक ही तरीका है जागरूकता और सावधानी, क्योंकि अगर एकबार यह बीमारी किसी को हो जाती है, तो फिर इससे छुटकारा नामुमकिन है और इंसान धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ता चला जाता है। बिहार के सीमांचल इलाके से जो खबर आ रही है, वह परेशान करने वाली है। बिहार के सीमांचल के इलाके में एड्स के हज़ारों मरीज़ मिले हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पांव फूल रहे हैं। डॉक्टरों को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं सीमांचल के इलाके से यह बिहार के दूसरे इलाकों तक न फैल जाए।
बिहार के सीमांचल क्षेत्र में एचआईवी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे यह इलाका चिंता का विषय बन चुका है। विशेष रूप से पूर्णिया और आसपास के इलाकों में एड्स के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह जानलेवा बीमारी इस क्षेत्र में इतनी फैल चुकी है कि आम लोग और स्वास्थ्य विभाग दोनों ही इसके बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
पूर्णिया के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में स्थित एआरटी केंद्र के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। कोसी-सीमांचल क्षेत्र में हर महीने लगभग 25 से 30 नए एचआईवी संक्रमित लोग इलाज के लिए एआरटी केंद्र में पहुंचते हैं। इस क्षेत्र में एचआईवी संक्रमण के मामलों में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है, वह स्वास्थ्य विभाग के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गया है।
कोसी-सीमांचल क्षेत्र में हर महीने करीब 25 से 30 लोग एचआईवी टेस्ट के लिए एआरटी केंद्र आते हैं, जिनमें से लगभग 15 से 17 लोगों में एड्स की पुष्टि हो रही है। जब पूर्णिया में एआरटी केंद्र की शुरुआत हुई थी, तब एचआईवी संक्रमितों की संख्या काफी कम थी, लेकिन अब चार साल बाद यह संख्या तीन गुना से भी अधिक हो गई है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह रोग संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध, और सुई-सीरिंज के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जागरूकता अभियानों के बावजूद एड्स के मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि एक गंभीर चेतावनी है। पूर्णिया के एआरटी सेंटर में अब तक तीन हजार से ज्यादा एड्स मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है।
सर्वेक्षण निरीक्षक बीएन प्रसाद के अनुसार, अधिकतर जांच कैंप सेक्स वर्कर्स के इलाकों में आयोजित किए जाते हैं, और इनमें से अधिकतर मामले भी इन्हीं इलाकों से सामने आते हैं। हालांकि, ड्रग्स के लिए इस्तेमाल की गई एक ही सुई या सीरिंज के मामलों की संख्या इन इलाकों में बहुत कम है।