सिटी पोस्ट लाइव : राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने मंगलवार को महागठबंधन सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर करारा कटाक्ष करते हुए कहा ‘जो पिएगा, वह मरेगा’ जैसी टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए.सुशील मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार 30 मामलों में 196 मृत्यु की बात स्वीकार कर रही है. राज्य सरकार वर्ष 2019 और 2020 में शून्य मृत्यु की बात कह रही है. भाजपा का आकंड़ा बताता है कि मरने वालों की संख्या 500 से ज्यादा है.
मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून 2016 की धारा 42 में चार लाख मुआवजा का प्रविधान है. इसी धारा में गंभीर रूप से बीमार को दो लाख रुपया और अन्य पीड़ित को 20 हजार रुपया का प्रविधान है. ऐसे में जिनकी आंखें चली गई या जहरीली शराब पीने से विकलांग हो गए उन्हें भी दो लाख रुपया का मुआवजा मिलना चाहिए. मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया में पोस्टमार्टम, चिकित्सा प्रमाण पत्र, शराब विक्रेता का नाम आदि जैसी शर्तें नहीं होनी चाहिए. मुआवजे का भुगतान विलंब से करने के कारण ब्याज सहित मुआवजा दिया जाए.शराबबंदी के बाद करीब 3.61 लाख प्राथमिकी, 5 लाख 17 हजार गिरफ्तारी हुई थी. उसमें 25 हजार अभी भी जेल में बंद हैं. इसमें 90 फीसदी एससी/एसटी/इबीसी हैं. ऐसे में सरकार को आम माफी का ऐलान कर सभी मुकदमों को वापस लेना चाहिए.
सुशील मोदी ने कहा कि जेलों में बंद 25 हजार से ज्यादा लोगों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए. शराब मामले में गिरफ्तार लोगों को अलग जेल में रखा जाए. उन्होंने कहा कि किसी माफिया को आज तक सजा नहीं हुई. छह वर्षों में जहरीली शराब की घटनाओं के लिए दोषी एक भी व्यक्ति को सजा नहीं. 2016 में 19 मृत्यु के पश्चात सजा प्राप्त लोगों को पटना उच्च न्यायालय ने मुक्त कर दिया. आजतक स्पेशल कोर्ट का गठन नहीं किया गया. सीएम स्पीडी ट्रायल की बात करते हैं लेकिन शुरू नहीं हुआ