मुजफ्फरपुर बालिका गृह का एक शातिराना खेल आया सामने.
फर्जी मां-पिता को सौंप दी गई थी नाबालिग लड़की, CBI ने दर्ज की नई FIR, जांच-पड़ताल हुई शुरू.
सिटी पोस्ट लाइव : मुजफ्फरपुर का शेल्टर होम कांड की जांच कर रही सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा किया है. बालिका गृह के अंदर रह रही एक नाबालिग लड़की को शातिरों ने एक ऐसे शख्स के हाथों सौंप दिया था, जो उसके माता-पिता थे ही नहीं.फर्जी कागजातों के आधार पर एक खेल खेला गया. नकली पहचान पत्र वाले शख्स को पेपर पर नाबालिग लड़की का पिता बताया गया और उसे सौंप दिया गया. लड़की शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग थी.जब उस नाबालिग लड़की का कोई सुराग नहीं मिला तो इस मामले में CBI ने पटना में शनिवार को IPC की धारा 323 और 120B के तहत एक नई FIR दर्ज की है. हालांकि, इस केस में किसी को भी नामजद अभियुक्त नहीं बनाया गया है.
CBI ने डीएसपी स्तर के एक अधिकारी को इस केस में जांच का जिम्मा सौंपा है. शेल्टर होम के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ इस मामले में जांच की जाएगी.CBI के FIR के अनुसार पूरा मामला 10 नवंबर 2015 का है. तब मानसी समादार CWC सीतामढ़ी की अध्यक्ष और रेणू कुमारी सिंह मेंबर थीं. उस तारीख में इनके नाम पर नाबालिग लड़की के रिहाई का आदेश दिया गया था. जिसमें बताया गया था कि झारखंड में हजारीबाग के बड़कागांव के सुकुल खपिया के रहने वाले राजकुमार पासवान नाबालिग लड़की के पिता हैं और शितला देवी उसकी मां. इनकी पहचान के लिए वोटर कार्ड भी अटैच किया गया था. इनकी पहचान नथुनी मुखिया ने की थी.
10 नवंबर 2015 को उस नाबालिग लड़की को राजकुमार पासवान के हवाले कर दिया गया था. मगर, पहले केस की पड़ताल के दौरान जब शेल्टर होम में रहने वाली और वहां से रिहा की गई लड़कियों के बारे में CBI की टीम ने पड़ताल की तो हैरान करने वाला यह मामला सामने आया. जांच में पता चला कि CWC सीतामढ़ी के अध्यक्ष का आदेश फर्जी था. उस पर उनके सिग्नेचर नहीं थे. इसी तरह राजकुमार पासवान और उसकी पत्नी के पहचान भी फर्जी ही पाए गए.
बिहार सरकार की तरफ से इस मामले में जांच और कार्रवाई के लिए 23 मार्च को एक अधिसूचना जारी की गई थी. जिम्मा CBI को दिया जाना था. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक लेटर भी लिखा गया. जिसके बाद बिहार सरकार की बात को मानते हुए 18 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से एक आदेश जारी कर CBI को अपने कदम इस मामले में आगे बढ़ाने का आदेश दिया गया. इस आदेश के मिलने के बाद ही अब केस को दर्ज किया गया है. जल्द ही नाबालिग लड़की की तलाश में जांच भी शुरू कर दी जाएगी. मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में 28 जुलाई 2018 को CBI ने पहली FIR दर्ज की थी. इस मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत 21 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल किया जा चुका है.
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