एक बाल मज़दूर से चुनावी सभाओं की जान बनने तक का सफ़र, जानें कवि जी की कहानी

Deepak Sharma

सिटी पोस्ट लाइव
पटना: नाम है मनोज राय, लेकिन अपना यह नाम अब शायद मनोज भी भूल गए हैं, क्योंकि अब सब उन्हें कवि जी के नाम से ही बुलाते हैं। मनोज राय आज चुनावी सभाओं की जान बन चुके हैं। अपनी कविताओं और दोहों से वे न केवल भीड़ का मनोरंजन करते हैं, बल्कि जदयू की तरफ़ से आरजेडी पर कराते तंज भी कसते हैं।

मनोज राय अपनी कहानी बताते हुए रो पड़ते हैं। वे बताते हैं कि उनका गांव सीतामढ़ी के सुरसंड में है। उन्हें बाल मज़दूर के रूप में पटना लाया गया था। उनसे 50 रुपए रोज़ाना देकर सड़क किनारे चलने वाले ढाबों में जानवरों की तरह काम लिया जाता था। 10 साल तक मनोज राय ने पटना के ढाबों में मजदूरी की और इसी तरह बड़े हो गए, लेकिन समय के साथ शब्दों के साथ खेलने की उनके अंदर जो जन्मजात प्रतिभा थी, वह छिपी नहीं रही। मनोज तब के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के संपर्क में आए और मनोज राय से कवि जी बन गए।

कवि जी बताते हैं कि रघुवंश प्रसाद के निधन के बाद उनका राजद से मोहभंग हो गया और वे जदयू के लिए काम करने लगे। अब जहां भी चुनाव होता है, वे जदयू के पक्ष में जाकर प्रचार करते हैं। अभी उन्होंने तिरहुत में भी जदयू प्रत्याशी अभिषेक झा के पक्ष में प्रचार किया। बेलागंज उपचुनाव में भी जाकर जेडीयू के लिए प्रचार किया। सैकड़ों नुक्कड़ सभाएँ कीं। जदयू के कई नेता भी अब कवि जी की कविताओं के मुरीद होने लगे हैं, क्योंकि सभा में लोगों को उनकी कविताएँ मज़ेदार लगती हैं और वे चुटीले अंदाज़ में विपक्षी पार्टियों पर तंज कस जाते हैं।

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