Bihar Politics: पुरानी पिचें छोड़ नए मैदान में दांव आजमाएगी कांग्रेस, ये रहा 9 लोकसभा सीटों की पूरा लेखा-जोखा Lok Sabha Elections 2024
सिटी पोस्ट लाइव : लालू यादव ने कांग्रेस की पसंद की कई सीटें तो नहीं दी लेकिन आखिरकार कांग्रेस को 9 सीटें देकर उसका सम्मान रख लिया. कांग्रेस को पिछली बार की तरह इस बार भी नौ सीटें मिली हैं, लेकिन उनमें औरंगाबाद व पूर्णिया नहीं है.पूर्णिया पप्पू यादव की और औरंगाबाद निखिल कुमार की परंपरागत सीट है.दोनों चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे. पूर्णिया की आशा में ही पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय करते हुए इसी सप्ताह कांग्रेस में सम्मिलित हुए थे. इस बार कांग्रेस को कई वैसी सीटें मिली हैं, जिन पर पिछले दो चुनाव में मैदान में ही नहीं थी. कुछ सीटें वैसी भी हैं, जहां वह लगातार पराजित होती रही है.
कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि सीटें RJD की मर्जी से मिली हैं, कांग्रेस की संभावना व पसंद के हिसाब से नहीं.RJD ने उन्हीं सीटों को कांग्रेस के हवाले किया है, जिन पर उसकी अपनी संभावना नगण्य थी.सीटों की आधिकारिक घोषणा तक पार्टी नेताओं को इसकी जानकारी भी नहीं हो पाई. कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय की सीट लालू यादव ने सीपीआई को दे दिया. वाल्मीकिनगर, नवादा, बक्सर, मधुबनी भी कांग्रेस को नहीं मिला.सुपौल जहाँ से 2014 में कांग्रेस से रंजीत रंजन विजयी रही थीं, इसबार पप्पू यादव लड़ सकते थे, RJD ने अपने पास रख ली.
किशनगंज : बिहार से लोकसभा पहुंचने वाले बीजेपी के एकमात्र मुस्लिम चेहरा शाहनवाज हुसैन 1999 में यहां जीते थे.बीजेपी की एकमात्र वही जीत है. पिछले तीन चुनावों से यह सीट कांग्रेस के पास है. अभी डा. मोहम्मद जावेद सांसद हैं. उनसे पहले 2009 और 2014 में मो. असरारुल हक विजयी रहे थे.
कटिहार : पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर इस सीट से पांच बार सांसद चुने गए हैं. चार बार कांग्रेस से और आखिरी बार 2014 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से. 2019 में भी वे कांग्रेस के प्रत्याशी थे. जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी से 57203 मतों से पराजित हो गए थे.
भागलपुर : कांग्रेस में यह भागवत झा आजाद की सीट हुआ करती थी. आखिरी बार यहां से वे 1984 में विजयी रहे थे. इस संसदीय क्षेत्र में वह कांग्रेस की आखिरी जीत थी. कांग्रेस ने यहां अंतिम बार 2009 में चुनाव लड़ा था. 52121 वोट पाकर सदानंद सिंह चौथे स्थान पर रहे थे.
पटना साहिब : पिछले दो चुनाव से कांग्रेस यहां दूसरे स्थान रही है.पिछली बार उसके प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा थे, जो बाद में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर आसनसोल से सांसद चुने गए. आखिरी बार 1984 में कांग्रेस यहां विजयी रही थी. तब प्रकाश चंद्र सांसद चुने गए थे.
सासाराम (सुरक्षित) : कांग्रेस की यह परंपरागत सीट है, लेकिन 2014 से यहां वह जीत नहीं पाई है. मृत्युपर्यंत तक जगजीवन राम यहां से निर्बाध सांसद चुने जाते रहे. कांग्रेस को यहां आखिरी जीत 2009 में उनकी पुत्री मीरा कुमार ने दिलाई थी.
समस्तीपुर (सुरक्षित) : 1971 के बाद हुए दो चुनावों में हार कर कांग्रेस यहां आखिरी बार 1984 में विजयी रही थी. तब रामदेव राय सांसद चुने गए थे. पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के डॉ. अशोक राम उप-विजेता बन कर रह जा रहे. 2009 में वे तीसरे स्थान पर रहे थे.
मुजफ्फरपुर : कांग्रेस को यहां आखिरी जीत 1984 में ललितेश्वर प्रसाद शाही ने दिलाई थी. 2014 में डा. अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस प्रत्याशी थे, जो अभी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. लगभग 16 प्रतिशत मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. 2009 में कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही थी.
पश्चिमी चंपारण : आखिरी बार यहां कांग्रेस 2009 में लड़ी थी. अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव प्रत्याशी थे, जो 70001 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 1984 में कांग्रेस को आखिरी जीत मनोज कुमार पाण्डेय ने दिलाई थी. 1998 में कांग्रेस छठे स्थान पर थी, उसके बाद मैदान से हटी तो 2009 में लड़ने पहुंची.
महाराजगंज : 1984 में यहां से कांग्रेस के टिकेट पर कृष्ण प्रताप सिंह जीते थे. 2009 में कांग्रेस आखिरी बार यहां दिखी थी. उसके बाद मैदान से गायब हो गई. तब 80162 मत पाकर तारकेश्वर सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. जीत राजद के उमाशंकर सिंह को मिली थी. अब राजद-कांग्रेस एक साथ हैं.सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस ईन सीटों पर कोई करिश्मा फिर से दिखा पायेगी?