बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को नीतीश भाजपा ने मिलकर खोखला किया: डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा है.उन्होंने कैग रिपोर्ट को आधार बनाते हुए राज्य की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा है.हाल में बिहार के स्वास्थ्य ढ़ांचे पर आई कैग की रिपोर्ट ने राज्य सरकार और उनकी कार्यशैली की धज्जियां उड़ा दी है साथ ही सरकार की जन उपेक्षा को खुलेआम कर कठघरे में खड़ा करने का काम किया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर ऑडिट रिपोर्ट, 2016-2022 की रिपोर्ट से यह समझ में आता है कि कैसे बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा ने आईसीयू में झोंक रखा है। ये बातें बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कही।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि कैग की रिपोर्ट को विस्तृत रूप से पढ़ने के बाद समझ आता है कि वित्त वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान किए गए ₹69,790.83 करोड़ के बजट प्रावधानों में से, बिहार ने केवल ₹48,047.79 करोड़ (69%) खर्च किए, जिससे ₹21,743.04 करोड़ (31%) का उपयोग तक नहीं हो पाया। नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) भारत सूचकांक रिपोर्ट (2020-21) के अनुसार भी बिहार ने एसडीजी-3 के लिए एसडीजी सूचकांक स्कोर के तहत 100 में से 66 अंक ही प्राप्त किए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि स्टाफ नर्सों की कमी, दवा और उपकरणों की कमी के अलावे पैरामेडिक्स की कमी 45% से 90% तक रही।
उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित 82 प्रकार के 24,496 पदों में से 35 प्रकार के 13,340 पदों के लिए भर्ती विभाग द्वारा नियुक्त मानव संसाधन एजेंसी के पास लंबित (जनवरी 2022) थी। इसके साथ ही सभी चार उप-जिला अस्पतालों (एसडीएच) में ऑपरेशन थिएटर (ओटी) तक उपलब्ध नहीं था, जिसे भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) के अनुसार प्रत्येक एसडीएच में उपलब्ध कराया जाना था। मानव संसाधन के तहत, स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, राज्य औषधि नियंत्रक, खाद्य सुरक्षा विंग, आयुष और मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों (एमसीएच) में कुल मिलाकर 49% रिक्तियां थीं। राज्य में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश को पूरा करने के लिए 1,24,919 एलोपैथिक डॉक्टरों की आवश्यकता है जबकि केवल 58,144 एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध थे।
रिपोर्ट का हवाल देते हुए बिहार कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि 25 एम्बुलेंसों के संयुक्त भौतिक सत्यापन से पता चला कि किसी भी एम्बुलेंस में मानक के अनुसार आवश्यक उपकरण,दवा, भोज्य सामग्री नहीं थी। परीक्षण किए गए 10 एसडीएच, ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में से किसी में भी कार्यात्मक रक्त भंडारण इकाइयां (बीएसयू) तक नहीं थीं। वहीं उपलब्ध 132 वेंटिलेटर में से केवल 71 (54%) कार्यात्मक पाए गए तो तकनीशियनों की अनुपलब्धता और गैर-कार्यात्मक आईसीयू के कारण 57 (43%) वेंटिलेटर बेकार पड़े थे। आठ स्वास्थ्य सुविधाओं में, राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए जनशक्ति और प्राधिकरण प्रमाणपत्रों की अनुपलब्धता के कारण बीएसयू गैर-कार्यात्मक थे। दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (डीएमसीएच) और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच), बेतिया में बीएमएसआईसीएल द्वारा दवाओं की कमी व गैर-आपूर्ति के कारण वित्त वर्ष 2019-21 के दौरान 45 से 68% दवाएं उपलब्ध नहीं थीं।
राज्य, भारत सरकार द्वारा निर्धारित आवश्यक दवाएं नहीं खरीद सका, जबकि वित्त वर्ष 2014-20 के दौरान ₹35.36 करोड़ का अनुदान राज्य को प्रदान किया गया था। स्वास्थ्य विभाग की ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि 2016-22 के दौरान 11 परीक्षण जांच स्वास्थ्य सुविधाओं में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं में से 1% से 67% को आईएफए गोलियों का पूरा कोर्स नहीं दिया गया था। वर्ष 2016-22 के दौरान, नोडल एजेंसी-बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) ने आवश्यक 387 दवाओं में से केवल 14 से 63% के लिए आपूर्तिकर्ताओं के साथ दर अनुबंध निष्पादित किया, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी दवाओं की अनुपलब्धता हुई। 2016-22 के दौरान बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) के लिए आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता 21% से 65% के बीच थी और आईपीडी के लिए, अनुपलब्धता 34% – 83% थी। बिहार सरकार ने प्रत्येक स्वास्थ्य सुविधा में बुनियादी ढांचे/उपकरणों की कमी को दूर करने के लिए राष्ट्…