लालू नहीं चाहते थे अति पिछड़ों का आरक्षण,महिलाओं के उत्थान के लिए कई प्रयास किए गए.

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सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में लालू यादव से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया है.उनके अनुसार  लालू यादव अति पिछड़ों के लिए अलग आरक्षण के खिलाफ थे. वे चाहते थे कि पिछड़ों के नाम पर ही आरक्षण हो. नीतीश ने कहा कि अति पिछड़ों को अलग आरक्षण जननायक कर्पूरी ठाकुर की कल्पना थी. उन्होंने लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. अब अगले चुनाव में विपक्ष को कुछ नहीं मिलने वाला.

उन्होंने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को कहा कि अति पिछड़ों के आरक्षण के विरोध के कारण वे जनता दल से अलग हुए. अलग पार्टी बनाई. नीतीश ने कहा कि अति पिछड़ों को अलग आरक्षण जननायक कर्पूरी ठाकुर की कल्पना थी.उन्होंने कहा कि 1990 में लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस समय स्वजातीय विधायक भी लालू प्रसाद का विरोध कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में विपक्ष को कुछ नहीं मिलने वाला है.

सरकारी जवाब के दौरान शोरगुल करने पर मुख्यमंत्री ने कई बार विपक्षी विधायकों को मीठी झिड़की दी. मुख्यमंत्री का भाषण समाप्त होने के कुछ पहले विपक्षी सदस्यों ने सदन का वहिर्गमन किया. मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता है. सड़कों की हालत इतनी खराब थी कि सांसद रहते हुए उन्हें अपने क्षेत्र में पैदल भ्रमण करना पड़ता था. डर के मारे सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त था.

उन्होंने कहा कि कृषि रोड मैप से राज्य में कृषि का विकास हुआ है. खेतों में बिजली के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने पहले पंचायती राज और बाद में नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया. उसके बाद से चार चुनाव हुए. नीतियों के निर्माण में महिलाओं की सहभागिता बढ़ी है. महिलाओं के उत्थान के लिए कई प्रयास किए गए. 2013 में महिलाओं को पुलिस में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.आज देश में सबसे अधिक महिला सिपाही बिहार में है. 2016 मे महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.

मुख्यमंत्री ने बताया कि 2006 में विश्व बैंक से कर्ज लेकर गठन महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया. बाद में इसे जीविका का नाम दिया गया. उस समय केंद्र सरकार के एक मंत्री आए.उन्होंने जीविका के काम को देखा। सराहा और फिर आजीविका के नाम से इसे पूरे देश में लागू किया. इस समय जीविका दीदियों की संख्या एक करोड़ 38 लाख है. शहरी क्षेत्र में तीन लाख से अधिक जीविका दीदियां काम कर रही हैं. राज्य सरकार तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को एकमुश्त 25 हजार रुपये की सहायता दे रही है.

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