लंबे समय तक टला बिहार में भूमि सर्वे.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण की  नई नियमावली को मंजूरी दे दी है. अब सर्वेक्षण कार्य कम से कम दो साल और आगे बढ़ गया है. भूमि सर्वेक्षण अनिश्चितकाल के लिए टल गया है. यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, जो पहले ही मौजूदा सर्वेक्षण प्रक्रिया की गड़बड़ियों से जूझ रहे हैं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले अधिकारियों से सर्वेक्षण जल्द पूरा करने की अपील की थी, लेकिन अब सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. हवाई सर्वेक्षण की समय सीमा भी बढ़ा दी गई है, जिस पर अब 1423 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है.

  

नई नियमावली के अनुसार, सर्वे पूरा होने में कम से कम दो साल लगेंगे. सरकार का कहना है कि नई नियमावली में बदलाव इसलिए किए गए हैं ताकि सर्वेक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित की जा सके. लेकिन विपक्षी दल इस फैसले को सरकार की विफलता मान रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने सर्वेक्षण कार्य को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है.नई नियमावली के तहत, सर्वेक्षण कार्य चार चरणों में पूरा होगा. पहले चरण में, जमीन मालिकों को अपनी जमीन का विवरण देना होगा. दूसरे चरण में, सरकारी कर्मचारी इस विवरण का सत्यापन करेंगे. तीसरे चरण में, लोगों को आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा. और चौथे चरण में, अंतिम प्रकाशन किया जाएगा.

नई नियमावली में प्रत्येक चरण के लिए समय सीमा तय की गई है. जमीन मालिकों को विवरण देने के लिए 180 कार्य दिवस, यानी लगभग सात महीने का समय दिया जाएगा. सरकारी कर्मचारियों को सत्यापन के लिए 90 कार्यदिवस, यानी लगभग साढ़े तीन महीने का समय दिया जाएगा. आपत्ति दर्ज कराने के लिए 60 कार्यदिवस, यानी लगभग ढाई महीने का समय दिया जाएगा. आपत्तियों के निपटारे के लिए भी 60 कार्यदिवस का समय दिया जाएगा.इसके बाद अंतिम प्रकाशन किया जाएगा, जिसके बाद भी लोगों को 90 कार्यदिवस तक आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा.


अब  सर्वे के पूरा होने में दो साल के करीब लग ही जाएंगे. विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव के काम में लग जायेगें. इसीलिए, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सर्वेक्षण कार्य 2026 तक पूरा नहीं हो पाएगा.बिहार के लाखों लोगों के लिए चिंता का विषय है. उन्हें अपनी जमीन के कागजात के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा. इससे उनके कई जरूरी काम रुक सकते हैं. सबसे बड़ी दिक्कत तो अंचलाधिकारियों और राजस्व कर्मचारियों के साथ है. जायज रसीद काटने के लिए भी कई जगह घूसखोरी के मामले सामने आए हैं.

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