सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के बांका जिले में मिशनरी स्कूलों में जबरन शिक्षकों और बच्चों के मतांतरण किये जाने का मामला सामने आया है.संत पैट्रिक्स बसमाता मिशन के छह शिक्षकों को फादर क्लिमेंट ने मतांतरण के आदेश का पालन नहीं करने पर नौकरी से निकाल दिया है. पीड़ित शिक्षकों ने पुलिस से शिकायत की है. स्थानीय लोगों ने भी डीएम और एसपी से मतांतरण के खेल को बंद कराने की मांग की है. शुक्रवार को एसआई प्रदीप कुमार चौधरी स्कूल पहुंचे. पुलिस के आने की भनक लगते ही स्कूल के सभी प्रवेश द्वार में अंदर से ताला जड़ दिया गया.
फादर क्लिमेंट गुरुवार रात ही स्कूल छोड़कर कहीं चले गये हैं. शुक्रवार को एक भी छात्र स्कूल में नहीं मिला. आवासीय परिसर में रहे छात्र ही वहां थे. पुलिस स्कूल के मुख्य द्वार से ही पीड़ित शिक्षकों और ग्रामीणों से पूछताछ कर लौट गई.स्थानीय लोगों ने डीएम अंशुल कुमार और एसपी से मतांतरण के खेल को बंद कराने की मांग की है. निकाले गये शिक्षकों का आरोप है कि 15 वर्षों से काफी कम मानदेय पर स्कूल में पढ़ा रहे थे. पिछले तीन वर्षों से ईसाई मत के शिक्षकों को छोड़कर बाकी शिक्षकों को फादर द्वारा तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता था.
ईसाई मत को मानने वाले बच्चों को काफी सुविधाएं दी जाती थीं. बाकी बच्चों को प्रताड़ित किया जाता था. उनसे गंदगी साफ कराई जाती थी. अभिभावकों पर भी मतांतरण का दबाब डाला जाता था. इस कारण कई बच्चे स्कूल छोड़कर चले गए. 20 जनवरी को फादर ने मतांतरण के बाद ही काम करने को कहा. ऐसा नहीं करने पर नौकरी से निकाल दिया गया.पहले लोगों के बीच मुफ्त में दाल, चावल सहित अन्य सामान का वितरण किया जाता था. फिर बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने का लालच दिया गया. जरूरतमंदों को आर्थिक मदद कर मतांतरण की तरफ मोड़ा जाने लगा.
ग्रामीणों का आरोप है कि मिशन की महिलाएं टोली बनाकर गांवों में घूमकर ईसाई मत का प्रचार करने लगीं. आदिवासी-महादलित परिवारों को टारगेट कर मतांतरण कराया जाने लगा. बाद में छात्रों से शुल्क भी लिया जाने लगा. प्रार्थना सभा में भी राष्ट्रगान नहीं होता है. छात्रों पर भी मतांतरण का दबाव बनाया जाता है. बात नहीं मानने पर परेशान किया जाता है.