सिटी पोस्ट लाइव : बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा पटना के बापू परीक्षा परिसर में हुई परीक्षा को रद्द कर दिए जाने के बाद बवाल मचा है.अभ्यर्थी पुरे बिहार की परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं.पटना के गर्दनीबाग में बुधवार से हजारों अभ्यर्थी सत्याग्रह पर बैठे हैं. ये पहला मौक़ा नहीं है जब बीपीएससी पेपर लीक और परीक्षा में धांधली के आरोपों के चलते चर्चा में आया हो.इसी साल बीपीएससी ने पेपर लीक की वजह से शिक्षक भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया था.साल 2022 में बीपीएससी की 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) परीक्षा पेपर लीक की वजह से रद्द करनी पड़ी थी.
बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं के अलावा राज्य में अन्य एजेंसियों द्वारा आयोजित सिपाही भर्ती, अमीन भर्ती, सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी और उत्पाद विभाग जैसी कई परीक्षाओं में भी पेपर लीक की घटनाएं सामने आई हैं.इन घटनाओं से साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं और विवादों का गहरा गठजोड़ है.इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच ये सवाल उठ रहा है कि 19 साल से बिहार की सत्ता संभाल रहे नीतीश कुमार और उनका प्रशासनिक अमला इस मोर्चे पर विफल क्यों है?जानकारों का कहना है कि
प्रशासन अक्षम और भ्रष्ट हो गया है. ‘किसी भी तरह नौकरी पाने की’ मानसिकता की वजह से ये विकत स्थिति पैदा हुई है. इसे सुधारना नीतीश कुमार सहित किसी के लिए भी बेहद मुश्किल है.पेपर लीक मामलों की आर्थिक अपराध ईकाई की जांच से भी जाहिर है कि पब्लिक एग्ज़ामिनेशन अब एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है.परीक्षा में केवल छात्र या बीपीएससी शामिल नहीं हैं. माफ़िया गैंग इसमें शामिल हैं, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है.जनसंख्या बढ़ी है, परीक्षार्थी बढ़े हैं,लेकिन परीक्षाएं आयोजित कराने की व्यवस्था पुरानी है. बापू परीक्षा परिसर में 12,000 बच्चों की एक साथ परीक्षा करवाना ही अपने आप में एक बड़ा सवाल है.
इस परीक्षा परिसर के बारे में बिहार सरकार का दावा है कि ये देश का सबसे बड़ा परीक्षा केंद्र है, जहां एक साथ 20,000 परीक्षार्थी परीक्षा दे सकते हैं.लेकिन ज्यादातर परीक्षार्थियों का कहना है कि उन्हें प्रश्नपत्र 15 मिनट की देरी से मिला. परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र देर से मिले, जिसके चलते ग़ुस्साए छात्रों ने हंगामा कर दिया.अचानक बहुत सारे लड़के आए, दरवाज़ा पीटने लगे और पेपर लूटने लगे.जब विडियो वायरल हुआ तो परीक्षा रद्द करनी पड़ी.लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि केवल 12 हजार छात्रों को दुबारा परीक्षा देने का मौका देना बाकी उन लाखों छात्रों के साथ अन्याय है जिन्हें परीक्षा देने के लिए पूरा समय नहीं मिला.