सिटी पोस्ट लाइव : पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि, ‘चुनाव बाद देखेंगे बिहार में अगला CM कौन होगा? इस बयान के बाद बिहार में सियासी पारे को चढ़ा दिया है.सवाल ये उठ रहा है कि बीजेपी महाराष्ट्र की तरह सीएम की कुर्सी पर दावा थोक देगी.20 15 से लेकर 2020 के बीच हुए चुनाव के नतीजों से जाहिर है कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक बैलेंसिंग फैक्टर बने हुए हैं. वो अकेले तो कुछ ख़ास नहीं कर सकते लेकिन जिसके साथ रहेगें वहीँ चुनाव जीतेगा.नीतीश कुमार के पास आप्शन है आरजेडी के साथ जाने का लेकिन बीजेपी के पास कोई आप्शन नहीं है.
Amit शाह के बयान को लेकर जो संदेह पैदा हुआ है उसे दूर करने में बीजेपी जुटी हुई है. शुक्रवार को बिहार NDA की बैठक हुई. इसमें भाजपा, JDU, LJP (R), HAM और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के नेता शामिल हुए. बैठक के बाद एक सुर में सबने कहा- 2025 में नीतीश कुमार ही हमारे नेता होंगे और वहीं CM बनेंगे. लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि एनडीए आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेगा. अगर कोई आशंका थी तो बिहार भाजपा अध्यक्ष ने अपने स्पष्ट बयान से उसे दूर कर दिया है. आज दिल्ली में बिहार NDA कोर कमिटी की बैठक है. इसमें भाग लेने के लिए डिप्टी सीएम विजय सिन्हा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पहुँच गये हैं.इस बैठक को भी डैमेज कण्ट्रोल की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
बीते विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि नीतीश कुमार के साथ जाने वाली पार्टियों के वोट शेयर में तो मामूली बढ़ोत्तरी होती है, लेकिन सीटों में भारी इजाफा हो जाता है. 2015 में नीतीश कुमार ने लालू यादव और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. तब महागठबंधन (JDU+RJD+कांग्रेस) को 41.84% वोट मिला और सीटें 178 पहुंच गई. NDA 34.59% वोट पाकर 58 सीट पर सिमट गई. लेकिन 2020 में जैसे ही बीजेपी ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाया, NDA 37.26% वोट शेयर के साथ 125 सीट जीतने में कामयाब रही. महागठबंधन (RJD+कांग्रेस+CPI+CPIM+माले) का वोट शेयर NDA से सिर्फ 0.23% ही कम था, लेकिन उससे सीटें 15 कम हो गई.
2010 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश के साथ रहने पर NDA ने 39.07% वोट शेयर के साथ 206 सीटें जीती थी. उस वक्त कांग्रेस RJD और LJP के साथ न लड़कर अकेले लड़ी और 8.37% वोट शेयर के साथ 4 सीट जीतने में कामयाब रही थी. जबकि, RJD और LJP ने चुनाव साथ लड़ा था और 25.58% वोट शेयर के साथ 25 सीट पर सिमट गई थी.नीतीश ने 2014 में अकेले चलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें करारी हार मिली थी. इसके बाद उन्होंने वापस गठबंधन की राजनीति शुरू की. अब दोबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे.अगर दोबारा RJD से गठबंधन हुआ तो एक बार फिर राज्य में पिछड़ा, अतिपिछड़ा और दलित वोटों की गोलबंदी होगी. इससे BJP की स्थिति 2015 वाली हो सकती है.