scientific analysis of Ganga water
सिटी पोस्ट लाइव : महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान के बाद गंगा जल के प्रदूषित हो जाने के का दावा गलत साबित हुआ है.55 करोड़ लोगों के स्नान के बाद भी संगम का जल अल्कलाइन वाटर जैसा शुद्ध है.ये खुलासा एक वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर के शोध से हुआ है.देश के शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक, पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में शोध के बाद दावा किया है कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर जैसा शुद्ध भी है.
गंगा नदी के जल की शुद्धता पर कई बार सवाल उठाए गए हैं, लेकिन इस बार देश के शीर्ष वैज्ञानिक ने इसे अपने प्रयोगशाला परीक्षणों से गलत साबित कर दिया है. डॉ. सोनकर ने महाकुंभनगर के संगम, अरैल और तीन अन्य प्रमुख घाटों से गंगा जल के नमूने लिए और प्रयोगशाला में तीन महीने तक इसका परीक्षण किया .उन्होंने कहा है कि जिसे भी संदेह हो, वह उनके सामने गंगा जल लेकर आए और प्रयोगशाला में जांच कर इसकी शुद्धता को खुद परखे.उनके अनुसार गंगा जल में बैक्टीरियल ग्रोथ नहीं पाई गई है.
जल का पीएच स्तर 8.4 से 8.6 के बीच रहा, जो सामान्य से भी बेहतर है.1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज की मौजूदगी मिली, जो हानिकारक बैक्टीरिया को स्वतः ही नष्ट कर देते हैं.गंगा जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज की वजह से यह पानी स्वाभाविक रूप से शुद्ध रहता है. यही कारण है कि 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद यह जल दूषित नहीं हुआ. शोध में यह भी पाया गया कि गंगा जल में नहाने से त्वचा संबंधी रोग नहीं होते और इसके संपर्क में आने से कोई संक्रमण नहीं फैलता. डॉ. सोनकर ने कहा कि यदि जल प्रदूषित होता, तो अब तक अस्पतालों में मरीजों की भरमार हो जाती. वैज्ञानिक परीक्षण में पाया गया कि गंगा जल का पीएच स्तर स्थिर बना रहा और इसे 37 डिग्री सेल्सियस पर 14 घंटे तक रखने के बावजूद बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई.