सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में पट्टे की जमीन( ख़ास महल ) की जमीन पर हुए अवैध कब्जों पर अब नीतीश सरकार की नजर है. प्रदेश के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री के अनुसार अवैध कब्जे और लीज की शर्तों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी.खास महाल की जमीन के साथ आम शिकायत यह है कि लीज की शर्तों का पालन नहीं हो रहा है. इस जमीन के स्वामित्व परिवर्तन की शिकायतें भी आने लगी हैं. विभाग ऐसी शिकायतों की समीक्षा कर रहा है.
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने रविवार को बताया कि सरकार प्रयास करेगी कि खास महाल के वैद्य स्वामित्व वालों को कोई परेशानी नहीं हो.उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ यह भी देखा जाएगा कि इस पर किसी तरह का अवैध कब्जा न हो. आवास के लिए आवंटित जमीन के व्यवसायिक उपयोग पर भी सरकार गौर करेगी.राज्य सरकार ने फरवरी 2022 में खास महाल की जमीन के सर्वेक्षण का निर्णय किया था. खास महाल जमीन वाले 12 जिलों के डीएम को जवाबदेही दी गई थी कि वह लीज और स्वामित्व विवाद की जांच करें.अगर लीज के अनुसार स्वामित्व है तो उसका नवीकरण कर दें. अगर गड़बड़ी पकड़ में आती है तो लीज रद कर उसका अधिग्रहण कर लें. लेकिन, इस प्रयास का ठोस परिणाम नहीं आया.
प्रदेश के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायवाल ने यह भी कहा कि खास महाल की जमीन की उपयोगिता और बाजार मूल्य की तुलना में सरकार को बहुत कम राजस्व की प्राप्ति होती है.ऐसे में सरकार देखेगी कि बिना वैध स्वामित्व के साथ छेड़छाड़ किए कैसे अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकती है.2011 खास महाल नीति में इस जमीन की पूरी जवाबदेही डीएम को दे दी गई है.राज्य में खास महाल जमीन का रकबा करीब 42 सौ एकड़ है. यह जमीन शहरों के मध्य में हैं और इसकी कीमत भी बहुत बढ़ गई है. पटना के अलावा सासाराम, मुंगेर, पूर्णिया में अधिक जमीन है.अकेले पटना में खास महाल की जमीन का रकबा 137 एकड़ है. शिकायत यह भी है कि मूल लीज धारकों के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने जमीन बेच दी. इस प्रक्रिया से खास महाल की जमीन की खरीद-बिक्री लीज की शर्तों का उल्लंघन है.