एनडीए और महा-गठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के फ़ॉर्मूला पर चर्चा तेज.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में चुनाव की तैयारी में सभी दल जुटे हैं. एनडीए और महा-गठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है.महा-गठबंधन और एनडीए में सीट बंटवारे के कई तरह के फार्मूलों की  चर्चा है. पहला फार्मूला यह है कि बीजेपी  122 तो जेडीयू 121 सीटें बांट लें. फिर दोनों अपने-अपने हिस्से से सहयोगियों को सीटें दें. दूसरा फार्मूला यह कि भाजपा-जेडीयू 100-100 सीटों पर लड़ें और बची 43 सीटों में साथी दलों को एडजस्ट करें. तीसरा फार्मूला यह है कि पिछली बार जीती गईं सीटों के आधार पर ही सीटों का बंटवारा हो. ऐसा हुआ तो भाजपा से आधी सीटों पर ही जेडीयू को संतुष्ट होना पड़ेगा, क्योंकि उसके पास सिर्फ 45 विधायक ही अभी हैं.

 वैसे विधानसभा के टिकट बंटवारे में एक एमपी पर 6 सीटों का प्रचलन रहा है. एलजेपी-आर के अभी 5 सांसद हैं. इस हिसाब से चिराग पासवान की दावेदारी 30 सीटों की बनती है. जीतन राम मांझी अपनी पार्टी इकलौते सांसद हैं. इसलिए उन्हें पिछली बार जितनी 6-7 सीटें देकर मनाने की कोशिश होगी. उपेंद्र कुशवाहा को 4-5 सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में करीब 201 सीटें बचती हैं, जो भाजपा और जेडीयू आपस में बांटेंगे.


महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का जो पहला फार्मूला सामने आया है, उसमें आरजेडी पिछली बार की तरह ही 144 सीटों पर लड़ेगा. कांग्रेस की सीटों में कटौती कर सीपीआई (एमएल) की सीटें बढ़ाई जाएंगी. इसलिए कि उसका परफार्मेंस पिछली बार बेहतर रहा था. उसने 19 में 12 सीटें जीत ली थीं.दो नई पार्टियाँ  आरएलजेपी और वीआईपी महा-गठबंधन में शामिल हैं.मुकेश सहनी को 15 से 20 सीटें मिल सकती है. एनडीए में रहते उन्हें 11 सीटें मिली थीं. आरएलजेपी के खाते में 3 से 5 सीटें जा सकती हैं. सीपीआई और सीपीएम को पहले की तरह क्रमशः 4 और 6 सीटें मिल सकती हैं.

कांग्रेस पिछली बार से कम सीटों पर अभी तक तैयार नहीं दिखती है. कांग्रेस ने जिस तरह बिहार पर अभी से फोकस बढ़ाया है, उससे नहीं लगता कि वह कम सीटों पर मानेगी. आरजेडी को भी कांग्रेस की इस सौदेबाजी का एहसास है. आरजेडी को भय है कि कांग्रेस कहीं हरियाणा और दिल्ली को बिहार में न दोहरा दे. इसलिए बिना मुंह खोले वह स्थिति संभालने का प्रयास कर रहा है.

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