सिटी पोस्ट लाइव : बजट के अनुसार अब 12 लाख की आमदनी पर कोई tax नहीं लगेगा.माना जा रहा है कि मिडिल क्लास को मिली इनकम टैक्स छूट से उसके हाथ में ज़्यादा पैसे बचेंगे और उसकी खपत क्षमता बढ़ेगी. मिडिल क्लास की ख़र्च करने की क्षमता बढ़ने से इकोनॉमी को रफ़्तार मिलेगी.भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जब अपने बजट भाषण में नए इनकम टैक्स स्लैब का एलान किया तो सबसे ज़्यादा फ़ायदा उन लोगों को होता हुआ दिखा जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से कम है.सीतारमण ने एलान किया कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा.सैलरी पाने वाले लोगों के लिए ये सीमा बढ़ाकर 12 लाख 75 हज़ार रुपये कर दी गई है.
एक मोटे अनुमान के मुताबिक़ अगर किसी शख़्स की सैलरी सालाना 13 लाख रुपये है तो उसे नए़ टैक्स स्लैब की वजह से 60 से 70 हज़ार रुपये की टैक्स बचत होगी.इस ऐसे समझ सकते हैं कि नए टैक्स स्लैब के मुताबिक़ चार से आठ लाख रुपये की सालाना आय वाले लोगों को अब सिर्फ़ पांच फ़ीसदी टैक्स देना होगा.आठ से बारह लाख रुपये की सालाना आय वाले लोगों को दस और 12 से 16 लाख रुपये की सालाना आय वाले लोगों को 15 फ़ीसदी टैक्स देना होगा.अभी तक 12 से 15 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 20 फ़ीसदी टैक्स देना पड़ रहा था.
भारत में मिडिल क्लास की परिभाषा के दायरे में वो लोग आते हैं जिनकी सालाना आय 5 से 30 लाख रुपये (2020-21 के मूल्यों के आधार पर) तक है.देश की आबादी का 40 फ़ीसदी मिडिल क्लास के दायरे में आता है. 2016 में 26 फ़ीसदी लोग मिडिल क्लास के दायरे में आते थे.माना जा रहा है कि मध्य वर्ग के टैक्स पेयर्स को इनकम टैक्स में ज़्यादा छूट देने की सरकार की ये कोशिश मांग बढ़ाएगी और इससे अर्थव्यवस्था का चक्र फिर तेज़ी से घूमेगा.ऐसे में नए टैक्स स्लैब के ज़रिये इनकम टैक्स पेयर्स के हाथ में सालाना 70 से 80 हज़ार रुपये का ना बहुत बड़ी बात है. अगर ये पैसा खपत के बजाय बचत में भी जाता है तो भी इसका बड़ा फ़ायदा है. क्योंकि बचत आख़िरकार खपत को बढ़ावा देती है.’
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‘भारत की लगभग एक अरब चालीस करोड़ की आबादी में सिर्फ़ साढ़े नौ करोड़ लोग टैक्स फ़ाइलिंग करते हैं और उनमें से भी छह करोड़ लोग शून्य रिटर्न दाख़िल करते हैं. तो सिर्फ़ साढ़े तीन करोड़ लोगों के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का क़दम बाज़ार में मांग बढ़ाने में कारगर नहीं हो सकता.सरकार ने मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में राहत देने का क़दम उठाकर एक नैरेटिव सेट किया है क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और यहां बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारी रहते हैं, जो मिडिल क्लास के दायरे में आते हैं और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं.विशेषज्ञों का कहना है कि देश में जीएसटी कलेक्शन लगातार बढ़ा है. यानी सरकार इनडायरेक्ट टैक्स के ज़रिये लोगों की जेब से ज़्यादा पैसा निकाल रही है.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ सरकार का GST कलेक्लशन गातार बढ़ रहा है.साल 2023 की तुलना में साल 2024 में इसमें 7.3 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और ये दिसंबर 2024 में 1.77 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.