पेपर लीक को लेकर लागू हो गया कड़ा कानून.

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सिटी पोस्ट लाइव : मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा NEET में हुई गड़बड़ियों को लेकर जारी विवाद के बीच  प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मामलों में देश में शुक्रवार को पेपर लीक कानून लागू कर दिया गया है. शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं के पेपर लीक के दोषियों को अब 10 साल की सजा होगी और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा.पेपर लीक कानून इसी साल फरवरी में पारित हुआ था. सरकार ने शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी. इसे ‘लोक परीक्षा कानून 2024’ (Public Examination Act 2024) नाम दिया गया है.

 

इस कानून के प्रावधानों के अनुसार अगर पेपर लीक होने को लेकर चल रही जांच के दौरान ये तय हो जाता है कि एग्जामिनेशन सर्विस प्रोवाइडर को परीक्षा के दौरान गड़बड़ी का पहले से ही अंदाजा था और इसके बावजूद भी उसने कुछ नहीं किया तो ऐसी स्थिति में एग्जामिनेशन सर्विस प्रोवाइडर पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. साथ ही साथ जांच के दौरान अगर इस बात के भी सबूत मिले कि संबंधित घटना में अगर किसी वरिष्ठ अधिकारी की भी संलिप्तता है तो उसे 10 साल तक की जेल हो सकती है और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

 

इतना ही नहीं यदि एग्जामिनेशन अथॉरिटी या सर्विस प्रोवाइडर कोई संगठित अपराध करता है, तो जेल की अवधि न्यूनतम पांच वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष होगी, और जुर्माना ₹ 1 करोड़ रहेगा. सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में भारतीय न्याय संहिता का उल्लेख है लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधान इसके लागू होने तक प्रभावी रहेंगे. संहिता और अन्य आपराधिक कानून 1 जुलाई को लागू होने वाले हैं.

 

‘लोक परीक्षा कानून 2024’ यानी कि पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 (Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act 2024) प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी और कई परीक्षाओं के रद्द किए जाने की स्थिति में फरवरी 2024 मे पारित किया गया था. यह कानून संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी. इस कानून का मकसद सभी सार्वजनिक परीक्षाओं में ज्यादा पारदर्शिता लाना और प्रतिस्पर्धा कर रहे युवाओं को गड़बड़ी नहीं होने के लिए आश्वस्त करना है.

 

पेपर लीक कानून के दायरे में में वे सभी परीक्षाएं हैं जिन्हें सार्वजनिक परीक्षा निकाय आयोजित करते हैं, या फिर ऐसे संस्थान आयोजित करते हैं जिन्हें केंद्र सरकार से मान्यता हासिल है. इसमें कई बड़ी परीक्षाएं शामिल  हैं. कानून के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे की ओर से आयोजित की जाने वालीं प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाने वालीं सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी.

 

प्रश्न पत्र या उनके उत्तर लीक करना ताकि परीक्षार्थी की किसी भी प्रकार की मदद मिल सके. कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़खानी करना ताकि पेपर की जानकारी पहले से मिल जाए. सीधे पेपर लीक न करते हुए परीक्षार्थियों को अन्य तरीके से हेराफेरी करके फायदा पहुंचाना. किसी भी ऐसे व्यक्ति का परीक्षा केंद्र में प्रवेश वर्जित है जो न तो परीक्षा में ड्यूटी कर रहा हो, या जो परीक्षार्थी न हो.  गड़बड़ी एक व्यक्ति द्वारा की जाए, संगठित रूप से एक समूह द्वारा की जाए या फिर किसी  संस्था द्वारा की जाए, यह इस कानून के तहत अपराध है. लाभ के लिए फर्जी वेबसाइट बनाना या फिर फर्जी परीक्षा आयोजित करना भी अपराध है.

 

कानून को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति बनाने की सिफारिश की गई है ताकि कंप्यूटर के जरिए होने वाली परीक्षाएं अधिक सुरक्षित बनाई जा सकें. परीक्षाओं के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और फुलप्रूफ आईटी सिक्योरिटी सिस्टम का उपयोग किए जाने का भी प्रावधान किया जा सकता है.

 

बता दें कि मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा NEET में हुई गड़बड़ियों को लेकर इन दिनों जमकर विवाद हो रहा है. दरअसल 5 मई को हुए नीट के एग्जाम (NEET Exam) में 67 बच्चों ने टॉप किया, जो असामान्य बात है. इसके अलावा कथित रूप से पेपर लीक होने का बात भी सामने आई. तब जब नीट परीक्षाओं को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, सरकार ने परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए यह कानून लागू कर दिया है.

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