1 लाख से अधिक छात्रों का नाम स्कूलों से कटा.

एडमिशन डुप्लीकेसी को खत्म करने के लिए बड़ी कार्रवाई, छात्र कई जगहों से ले रहे थे योजना का लाभ..

सिटी पोस्ट लाइव :के.के. पाठक का ऑपरेशन एजुकेशन जारी है.के.के. पाठक के निर्देश पर  सरकारी विद्यालयों के  1 लाख से अधिक ऐसे छात्रों की पहचान की गई है  जिनका नामांकन एक से ज्यादा स्कूलों में है.इनका नाम अब  काटा गया है. जिलों  से जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसके अनुसार सबसे ज्यादा पश्चिम चंपारण और अररिया जिले में छात्रों के नाम काटे गए हैं . इन जिलों में करीब 10 -10 हज़ार बच्चों का नाम काटा गया है. विद्यालय में जिन बच्चों का नाम काटा गया है और वह फिर अगर पढ़ना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में अभिभावक का शपथ पत्र लेने का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है. अभिभावक लिखित रूप से देंगे कि उनका बच्चा नियमित रूप से विद्यालय आएगा इसके बाद बच्चे का दोबारा नामांकन हो जाएगा.

पटना में 7 हज़ार छात्रों का नाम काटा गया है जिसमे 4000 छात्र ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में से आते हैं. रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार माध्यमिक उच्च माध्यमिक की अपेक्षा प्राथमिक विद्यालयों में अधिक बच्चों का नाम काटा है इनमें सबसे अधिक 14875 में और 14299 चौथी कक्षा के छात्र हैं. दरअसल इस तरह के नामांकन का मकसद योजना के गलत फायदा को रोकना है, जिन छात्रों का नाम काटा गया है वह एक साथ सरकारी और निजी विद्यालयों में दाखिले लिए हुए हैं.

शिक्षा विभाग ने  लगातार तीन दिनों तक विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों की पहचान कर उनके अभिभावक से बात करने और बच्चों को विद्यालय लाने के लिए कहा है. इसके बाद भी अगर 15 दिनों तक विद्यालय नहीं आते हैं तो ऐसे बच्चों का नामांकन काट दिया जाए. शिक्षा विभाग  से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 13 सितंबर तक 1 लाख 1हज़ार 86 बच्चों का नाम काट दिया गया है. हालांकि इस आंकड़े में तीन से चार जिलों के नाम शामिल नहीं है. इस तरह कुल मिलाकर यह आंकड़ा कुछ और बढ़ भी सकता है. यह सभी ऐसे बच्चे हैं जिनका नाम सितंबर महीने में ही काटा गया है.

विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने 2 सितंबर को जिलाधिकरियो को निर्देश जारी किया था और कहा था कि 15 दिनों तक विद्यालय में अनुपस्थित रहने पर छात्र का नामांकन रद्द कर दिया जाए. विद्यार्थी की ट्रैकिंग की जाए और इस बात की जानकारी ली जाए कि उसका एक ही साथ दो विद्यालयों में नामांकन तो नहीं कर दिया गया है.ऐसे छात्र सरकारी विद्यालयों से नाम काटने के डर से लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित नहीं रहते हैं और बीच-बीच में अपनी उपस्थिति दर्ज करते रहते हैं. ऐसे छात्र किसी निजी विद्यालय में नियमित रूप से जाते रहते हैं. लेकिन सरकार की योजनाओं की राशि प्राप्त करने के लिए और सरकारी विद्यालयों में भी दाखिला लिए हुए हैं.

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