सिटी पोस्ट लाइव : हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष की एकादशी का को बहुत खास माना गया है. इसे इंदिरा एकादशी कहते हैं. इस एकादशी पर व्रत और पूजा करने से इसका फल पितरों को मिलता है, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होतीहै. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 सितंबर, शुक्रवार को दोपहर 01 बजकर 20 मिनिट से शुरू होगी, जो 28 सितंबर, शनिवार की दोपहर 02 बजकर 50 मिनिट तक रहेगी.चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 28 अक्टूबर, शनिवार को होगा, इसलिए इसी दिन इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा.
28 सितंबर, शनिवार को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से 4 शुभ योग बन रहे हैं. ये शुभ योग हैं- सिद्धि ,साध्य, मानस और पद्म। इन चार शुभ योगों के चलते इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है.ये हैं शुभ मुहूर्त– सुबह 07:50 से 09:19 तक, – सुबह 11:53 से दोपहर 12:41 तक, – दोपहर 12:17 से 01:46 और दोपहर 03:15 से 04:44 तक तक है.पंडितों के अनुसार 28 सितंबर, शनिवार की सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें.जिस तरह का व्रत आप करना चाहते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लेना चाहिए.
शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें.सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा पूजा स्थान पर स्थापित करें.- कुमकुम का तिलक लगाएं, फूलों का हार पहनाएं. शुद्ध घी का दीपक जलाएं.अबीर, चावल, गुलाल, मौली, जनेऊ आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें.अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं..- भोग में तुलसी के पत्ते जरूर डालें.अंत में भगवान की आरती करें.व्रत की कथा सुनें. रात को सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करें. अगले दिन सुबह व्रत का पारणा करें और इसके बाद स्वयं भोजन करें.- इस तरह को व्यक्ति पूरे विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करता है, उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और इस व्रत के प्रभाव से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है.
धर्म ग्रंथों के अनुसार, किसी समय महिष्मति राज्य पर इंद्रसेन नाम के राजा शासन करते थे. एक दिन देवर्षि नारद राजा इंद्रसेन के पास और बोले-‘तुम्हारे पिता अपने पूर्व जन्म में किए गए पापों के कारण यमलोक में हैं..- देवर्षि नारद की बात सुनकर राजा इंद्रसेन को बहुत दुख हुआ और उन्होंने कहा ‘मैं ऐसा क्या करूं कि जिससे मेरे पिता को यमलोक से मुक्ति मिल जाए.. – देवर्षि नारद ने कहा कि ‘आप श्राद्ध पक्ष में आने वाले इंदिरा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से कीजिए.इससे आपके पिता को आत्मो को यमलोक से मुक्ति मिलेगी और उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा.- राजा इंद्रसेन ने देवर्षि नारद के कहने पर परिवार सहित इंदिरा एकादशी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से उनके पिता को यमलोक से मुक्ति मिल गई और मृत्यु के बाद वे भी स्वर्ग में गए.