बिहार में आय छिपा रहे यादव, जानिये क्या है माजरा?

सिटी पोस्ट लाइव : जातीय जनगणना के दौरान किया गया आर्थिक सर्वेक्षण का आंकड़ा सामने आ चूका है.लेकिन ये आंकड़ा हकीकत से दूर है.4.23 प्रतिशत यादव परिवारों ने सर्वे टीम को अपनी आय से संबंधित जानकारी देने से इनकार कर दिया.ओवरआल 4.47 प्रतिशत परिवारों ने आय का स्रोत साझा नहीं किया. सवर्ण परिवार के 4.85 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के 4.18, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 4.44, अनुसूचित जाति के 4.69 तथा अनुसूचित जनजाति के चार प्रतिशत परिवारों ने आय का स्रोत नहीं दिया है.हिंदू-मुस्लिम की सात जातियों को सवर्ण की श्रेणी में रखा गया है. आय का स्रोत बताने के मामले में हिंदू सवर्ण की तुलना में इसी श्रेणी की मुस्लिम जातियों ने ज्यादा अरुचि दिखाई है.

 

5.65 प्रतिशत शेख, 5.18 प्रतिशत पठान व 5.67 प्रतिशत सैयद ने अपनी आय से संबंधित जानकारी नहीं दी है. हिंदू सवर्ण जातियों में 4.82 प्रतिशत ब्राह्मण परिवार, 4.42 भूमिहार, 4.47 राजपूत व 3.87 प्रतिशत कायस्थ परिवारों ने आय का स्रोत नहीं बताया है.50 हजार से अधिक मासिक आय के मामले में पिछड़ी जाति के इसाई धर्मावलंबी सवर्ण जातियों से भी आगे हैं. पिछड़ा वर्ग के ईसाई धर्मावलंबी परिवारों में 23.53 प्रतिशत की मासिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है. इसी श्रेणी में यादव के 3.2 प्रतिशत, कुशवाहा के 4.30, कुर्मी व बनिया के 7.80 प्रतिशत, सोनार के 11.39 प्रतिशत परिवार शामिल हैं.

 

ब्राह्मण के 18.33 प्रतिशत परिवार, भूमिहार के 19.05, राजपूत के 18.96 तथा कायस्थ के 24.41 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है. सवर्ण मुस्लिम जातियों में सैयद के 19.97 प्रतिशत परिवार, पठान के 15.17 तथा शेख के 10.80 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 50 हजार से अधिक बताई गई है.

 

बिहार जाति आधारित गणना 2022-23 में मंगलामुखी (थर्ड जेंडर) की संख्या को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जनगणना के अनुसार आय के मामले में हर पांचवीं मंगलामुखी 50 हजार रुपये से अधिक हर महीने प्राप्त करती है.रिपोर्ट के अनुसार, 20.39 प्रतिशत मंगलामुखी की मासिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है, जबकि 25 प्रतिशत की आय छह हजार रुपये से भी कम है.

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