सिटी पोस्ट लाइव : बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के दिन अब गिने चुने रह गये हैं.उनकी पसंद को दरकिनार कर कांग्रेस आलाकमान महत्वपूर्ण पदों पर नये लोगों को बैठना शुरू कर दिया है. बिना किसी विवाद और विघटन के संगठन को चुनावी राजनीति के अनुकूल बनाने के लिए अखिलेश सिंह के चहेते लोगों की जगह जुझारू चेहरे आगे किया जा रहा है. युवा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन से इसकी शुरुआत हुई और अब छात्र व अल्पसंख्यक विभाग की कमान उन लोगों को सौंपी जा चुकी है, जो आलाकमान के प्रति अधिक निष्ठावान हैं.
बिहार (Bihar News) कांग्रेस में अंतर्विरोध ऐसा कि प्रदेश समिति का गठन तक नहीं हो पा रहा, जबकि अध्यक्ष के रूप में डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह के कार्यकाल के 20 माह पूरे हो चुके हैं. उनसे पहले डॉ. मदन मोहन झा और कौकब कादरी का कार्यकाल भी बिना समिति वाला ही रहा. इस बीच विधानसभा और लोकसभा के तीन चुनाव संपन्न हो गए. तीनों के परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे. ऐसे में दबी जुबान प्रदेश नेतृत्व की आलोचना हो रही है.
आलाकमान अखिलेश सिंह के आलोचकों से भी उसी अनुपात में दूरी बनाए हुए है, जितना प्रदेश इकाई को दूसरे हाथों में गिरवी रख देने की मंशा रखने वालों से. लोकसभा चुनाव के बाद संगठन में हो रही नियुक्तियां इसका स्पष्ट संकेत करती हैं. पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस वर्ष जनवरी में सत्ता की हेराफेरी में दो विधायकों (मुरारी गौतम, सिद्धार्थ सौरव) की बगावत को सांगठनिक प्रबंधन में कमी का परिणाम माना गया था. उसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट की चाह में दूसरे दलों से कटे-छंटे कई चेहरे कांग्रेस के तो हुए, लेकिन पहले से तपे-तपाए कई दिग्गजों को निराश होना पड़ा.
पप्पू यादव को लेकर हुए विवाद से स्पष्ट हो गया कि पटना से दिल्ली की राय अलग है.अखिलेश सिंह की मर्जी के खिलाफ पप्पू यादव को पार्टी में शामिल कराया गया.पप्पू यादव कांग्रेस में रहते हुए निर्दलीय चुनाव लादे लेकिन पार्टी की तरफ से उनके खिलाफ कोई कारवाई नहीं हुई.पार्टी उन्हें अपना ही सांसद मानती है. बहरहाल प्रदेश समिति के लिए पटना से भेजे गए नामों की सूची दिल्ली में धूल फांक रही है. इस बीच प्रदेश नेतृत्व की पसंद को दरकिनार कर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) का प्रदेश अध्यक्ष जयशंकर प्रसाद को बना दिया गया, जो कन्हैया कुमार के चहेते हैं.
महागठबंधन में बेगूसराय पर बात नहीं बनने के कारण आलाकमान ने बुझे मन से कन्हैया को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मैदान में उतारा था. इमरान प्रतापगढ़ी की तरह कन्हैया को भी राहुल गांधी का प्रिय बताया जाता है. पिछले सप्ताह शनिवार को ओमैर खान उर्फ टीका खान को अल्पसंख्यक विभाग का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो इमरान प्रतापगढ़ी के करीबी हैं. ओमैर भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के सहयात्री रहे हैं.