कौन हैं RJD के राज्य सभा उम्मीदवार संजय यादव?

सिटी पोस्ट लाइव :  RJD ने संजय यादव को राज्य सभा भेंजने का फैसला लिया है. संजय यादव और तेजस्वी यादव को पिछले 11 साल से एकसाथ देखा जा रहा है.संजय यादव  तेजस्वी के मित्र होने के साथ साथ उनके राजनीतिक सलाहकार, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक भी माने जाते हैं. तेजस्वी यादव जब क्रिकेटर हुआ करते थे तो किसी कॉमन फ्रेंड ने उनसे मिलवाया था. कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री के साथ एमबीए संजय एक कंपनी में नौकरी किया करते थे. मगर, सोशल पॉलिटिक्स में उनकी इंट्रेस्ट शुरू से ही रही.

 

संजय यादव की तेजस्वी से पहली मुलाकात आईपीएल के दौरान हुई थी. तब, दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए तेजस्वी खेला करते थे.  लालू यादव की राजनीति को आगे बढाने की जिम्मेवारी संभालने के बाद तेजस्वी यादव ने  संजय यादव को पटना बुला लिया. संजय यादव  आईटी कंपनी की नौकरी छोड़कर तेजस्वी के साथ आ गये.तेजस्वी यादव के साथ संजय यादव साए की तरह रहते हैं. हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले हैं, मगर ठिकाना उनका वहीं होता है, जहां तेजस्वी रहते हैं. शुरुआती दिनों में संजय यादव और तेजस्वी यादव साथ में बैठकर देश के नामचीन नेताओं के भाषण सुनते थे. इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस, कांशी राम, मायावती, चंद्रशेखर, वीपी सिंह के अलावा लालू यादव भी शामिल थे. उस समय तेजस्वी यादव ज्यादातर वक्त दिल्ली में लालू यादव के तुगलक रोड स्थित आवास पर वक्त बिताया करते थे. बड़े नेताओं की भाषणों की बारीकियां संजय यादव नोट करते थे और तेजस्वी की ग्रूमिंग करते थे.

 

तेजस्वी के साथ दिक्कत थी कि उनके पिता और माता दोनों ही सीएम रह चुके थे. सत्ता की हनक के बीच उनकी अपब्रिंगिंग हुई थी. आमलोगों से बहुत वास्ता नहीं रहता था. मगर, राजनीति करने के लिए ‘धूल फांकना’ एक जरूरी इनग्रेडिएंट है, जो तेजस्वी में नहीं था. एक अच्छे ट्रेनर की जरूरत थी, इसमें पहली शर्त थी कि वो उनका दोस्त भी हो. जो सही और गलत भी बताता रहे. इसके साथ ही वो सेंसेटिव और समझदार हो. ये सभी क्वालिटी तेजस्वी को संजय में मिली. इसके बाद जो दोस्ती जमीं, वो राज्यसभा तक पहुंच रही है.

 

संजय यादव ने 2015 पहली बार आरजेडी की ओर से चुनावी स्ट्रैटजी बनाई. नीतीश की ओर से रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर को करीब से देखा. इसके बाद, 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के साथ मिलकर चुनाव का खाका खींचा. एनडीए के ‘जंगलराज’ के नारे को काउंटर करने के लिए 10 लाख नौकरी देने की रणनीति बनाई.कमाई-दवाई-पढ़ाई को आरजेडी के एजेंडे में संजय यादव ने ही शामिल कराया. एक-एक सीट के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई गई. भाषणों में कास्ट से लेकर क्लास तक का ख्याल रखा गया. चुनाव जीतने के बाद आज भी एक-एक विधायकों पर संजय की पकड़ है, इसके अलावा हारे हुए उम्मीदवारों के भी टच में रहते हैं.