जीतनराम मांझी समेत 32 लोगों के खिलाफ वारंट जारी.

डोनेशन लेकर बीएड की डिग्री दिलाने के आरोपियों की , संपत्ति कुर्क करने का भी आदेश.

सिटी पोस्ट लाइव : शैक्षणिक भ्रष्टाचार के 1999 के एक पुराने मामले में अदालत ने 8 तत्कालीन पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है. वारंट निर्गत करने के साथ ही निगरानी के विशेष जज मोहम्मद रुस्तम की अदालत ने अदालत सोमवार को आरोपियों की संपत्ति की कुर्की-जब्ती का भी आदेश दिया है.निगरानी विभाग ने यह मामला तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री जीतनराम मांझी समेत 32 लोगों के खिलाफ तीन अगस्त 1999 को दर्ज किया था. जांच के बाद 10 लोगों के खिलाफ आठ अगस्त 2007 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

 

निगरानी ने अपने जांच में पाया कि आरोपियों ने 1995 से 1997 के बीच विभिन्न महाविद्यालयों को बीएड की पढ़ाई की मान्यता दिलाकर राज्य व राज्य के बाहर के करीब 500 छात्रों से डोनेशन लेकर डिग्री दिलायी थी. वर्तमान में आठ आरोपियों की उपस्थिति के लिए यह मामला लंबित है.निगरानी के विशेष लोक अभियोजक डॉ. श्रद्धानंद पासवान ने बताया कि अदालत ने रउफ मुस्लिम जामिया बहेड़ा (दरभंगा) के तत्कालीन संयुक्त सचिव एसएम सरवर ईमाम, सदस्य तंजीफ सैफी, कोषाध्यक्ष मोहम्मद तकसील कैफी, नेशनल काउंसिल टीचर एजुकेशन (भुवनेश्वर) के पूर्व क्षेत्रीय संगठन के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक केडी मिश्रा के खिलाफ गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट जारी किया गया है.

 

राजकीय महाविद्यालय (तुर्की, मुजफ्फरपुर) के प्राचार्य रामजी सिंह, एसएम जरीफ कालेज आफ एजुकेशन (बहेड़ा, दरभंगा) के सचिव प्रबंधन मोहम्मद अफाक अहमद, मुस्लिम जामिया (दरभंगा) के सदस्य संजीव सैफी, राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (समस्तीपुर) की व्याख्याता मीनाक्षी सिन्हा के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है.

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