नीतीश-तेजस्वी के महामंथन के मायने समझिए.

सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की PM मोदी से मुलाक़ात के बाद पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं की बैठक करना, बैठक में पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष ललन सिंह का शामिल नहीं होना और इंडिया गठबंधन के पहली कोआर्डिनेशन की बैठक में JDU का शामिल नहीं होना और एकसाथ अलग अलग तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की चुनावी बैठक करना ,सियासत में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है.

सियासी गलियारों में अफवाहों का बाजार गर्म है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार फिर से कुछ बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं?आखिर क्यों नीतीश कुमार को दो दिनों का महामंथन करना पड़ा? क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं? पॉलिटिकल एक्सपर्ट इन अफवाहों को सिरे से खारिज करते हैं. एक्सपर्ट की माने तो अगर नीतीश कुमार को पाला बदलना होगा तो इसके लिए उन्हें कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने की जरूरत नहीं है.

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पार्टी के लिए कार्यकर्ता ही सब कुछ हैं. चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करना जरूरी था. ये उसी कार्यक्रम का हिस्सा था.नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की एक वार्म अप मीटिंग इसे माना जा सकता है.ये नीतीश कुमार भी जानते हैं कि 2024 उनके सामने एक बड़ा टास्क है.नीतीश कुमार शुरू से ही समय  से पूर्व लोकसभा चुनाव होने की आश्नाका जाता रहे हैं. ऐसे में जरूरी है जमीनी स्तर पर तैयार रहना. इसको ध्यान में रखकर चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. ये बैठक उसी तैयारी का एक हिस्सा था.

लेकिन ये भी सच है कि पीएम पद के उम्मीदवार या फिर इंडिया गठबंधन के संयोजक नहीं बनने के बाद विपक्ष के साथ रहने का कोई ख़ास फायदा नीतीश कुमार को नहीं दिखाई दे रहा है. वो ये भी बखूबी जानते हैं कि जिन वोटरों की वजह से वो 17 साल से सत्याता पर काबिज हैं, वो उन्हें तेजस्वी यादव के साथ नहीं बल्कि बीजेपी के साथ देखना चाहते हैं.उनके समर्थक ये कभी नहीं चाहेगें कि नीतीश कुमार तेजस्यावी यादव को सीएम की कुर्सी सौंप कर खुद पैदल हो जाएँ.ऐसे में एक बड़े राजनीतिक फैसले लेने का दबाव उनके ऊपर हो सकता है.

CM Nitish Kumar