बिहार के की चेहरे को नहीं मिली मोदी सरकार में जगह.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार राज्य से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के जिन बड़े चेहरों को केंद्र की नई सरकार में मंत्री का पद नहीं मिल पाया है उनमें रविशंकर प्रसाद का नाम शामिल है. रविशंकर प्रसाद लगातार दूसरी बार पटना साहिब सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने हैं. रविशंकर प्रसाद इससे पहले मोदी सरकार में मंत्री रह चुके हैं.राजीव प्रताप रूडी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के ज़माने में केंद्र में मंत्री रहे रूडी को इस बार भी मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.राजीव प्रताप रूडी लगातार तीन बार से सारण सीट पर लालू परिवार को मात दे रहे हैं. रूडी ने इस बार लालू की बेटी रोहिणी आचार्य को चुनावों में शिकस्त दी है. इससे पहले उन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय को इस सीट से हराया था. जबकि साल 2014 में लालू की पत्नी राबड़ी देवी इस सीट से राजीव प्रताप रूडी से हार गई थीं.

 

पूर्व चंपारण से एक बार जीत दर्ज करने वाले राधा मोहन सिंह को इस बार भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें कृषि मंत्रालय का विभाग मिला था. राधामोहन सिंह बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं.राजीव प्रताप रूडी, राधामोहन सिंह और रविशंकर प्रसाद जैसे नेताओं ने मोदी का भरोसा खो दिया है.”चर्चा तो यहाँ तक चल पड़ी थी कि इस बार रविशंकर प्रसाद को बीजेपी पटना साहिब से टिकट भी नहीं देगी. उन्हें मोदी के पिछले कार्यकाल के बीच में ही अचानक मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. मोदी के पहले कार्यकाल में ऐसे राजीव प्रताप रूडी हटाए गए थे, जबकि राधामोहन सिंह को मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी मंत्री नहीं बनाया था. “

 

हालाँकि बिहार में अक्सर देखा गया है राष्ट्रीय जनता दल उस वर्ग को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसे बीजेपी में उचित स्थान नहीं मिला है. ऐसे में बीजेपी भी इस बात को समझकर भविष्य में मंत्रिमंडल में अगर फेरबदल करती है, तो उसमें बिहार को लेकर भी बदलाव देखने को मिल सकता है.हालाँकि मौजूदा केंद्र सरकार में कई ऐसे बड़े नेता हैं जिनके मंत्री बनने की संभावना को उनकी हार ने फ़िलहाल ख़त्म कर दिया है.

 

मोदी सरकार में जिस तरह से अपनी पार्टी के अकेले सांसद जीतन राम मांझी को मंत्री बनने का अवसर मिला है. माना जाता है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव जीतने में सफल होते तो उन्हें भी यह अवसर मिल सकता था.उपेंद्र कुशवाहा साल 2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाए गए थे. उस समय उनकी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के तीन सांसद चुनाव जीतने में सफल रहे थे. बाद में कुशवाहा अपनी पार्टी और गठबंधन बदलते रहे.इस साल के चुनावों में उपेंद्र कुशवाहा को काराकाट सीट पर बीजेपी के ही बाग़ी और निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह की वजह से हार का सामना करना पड़ा. इस सीट से सीपीआई(एमएल) राजा राम सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे हैं.

 

पूर्व नौकरशाह आर के सिंह मोदी की पिछली दोनों सरकारों में मंत्री रहे थे. आर के सिंह को इस बार आरा लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा है. राजकुमार सिंह को सीपीआई(एमएल) के सुदामा प्रसाद ने चुनावों में मात दी है. इस तरह से बिहार में दो संभावित मंत्रियों की कुर्सी सीपीआई(एमएल) ने छीन ली है.इसके अलावा हार की वजह से मंत्री बनने की संभावना गंवाने वालों में रामकृपाल सिंह का नाम भी लिया जा सकता है. राम कृपाल सिंह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाए गए थे. हालाँकि पिछली सरकार में उनको यह मौक़ा नहीं दिया गया था.रामकृपाल सिंह पहले लालू के क़रीब और राष्ट्रीय जनता दल में थे. बाद में उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने साल 2014 और साल 2019 में लालू की बेटी मीसा भारती को पाटलिपुत्र सीट से पराजित किया था. हालाँकि इस बार के चुनावों में जीत मीसा भारती को मिली है.

modi cabinet